ओडिशा में संत अरक्षित दास का रहस्यमय शिलालेख पुनः खोजा गया
ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले में संत अरक्षित दास के पवित्र साधना स्थल भुवन बावा में एक महत्वपूर्ण शिलालेख की पुनर्खोज हुई है। यह शिलालेख संत द्वारा रचित 'महासुन्नी' ग्रंथ के ऊपर पाया गया है, जो उनके आध्यात्मिक अनुभवों का सार है। इस खोज ने संत अरक्षित के जीवन और शिक्षाओं के बारे में नई जानकारी प्राप्त करने की संभावना को उजागर किया है। संत अरक्षित दास 18वीं शताब्दी के एक प्रमुख संत और कवि थे, जिन्होंने समाज में समानता और भाईचारे का प्रचार किया। इस शिलालेख की जांच से ओडिशा की धार्मिक और साहित्यिक विरासत में एक नया अध्याय जुड़ने की उम्मीद है।
Jul 7, 2025, 12:16 IST
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महान संत का पवित्र स्थल और शिलालेख की खोज
ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले में कनकपुर के निकट स्थित भुवन बावा, महान संत अरक्षित दास का पवित्र साधना स्थल, हाल ही में एक महत्वपूर्ण और रहस्यमय शिलालेख की खोज का केंद्र बना है। यह खोज न केवल इतिहास के प्रेमियों के लिए, बल्कि आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए भी अत्यधिक रुचिकर साबित हुई है।यह शिलालेख संत अरक्षित दास द्वारा रचित 'महासुन्नी' नामक ताड़पत्र ग्रंथ के ठीक ऊपर पाया गया है। इसे सबसे पहले स्थानीय शोधकर्ता शरत चंद्र रथ और कटक के पूर्व पोस्टमास्टर आर.सी. दास ने देखा। उन्होंने इस शिलालेख की तस्वीरें और विवरण 'उत्कल दीपिका' पत्रिका में प्रकाशित किए, जिससे यह खोज प्रकाश में आई।
इस शिलालेख का अतीत में कुछ समय के लिए गुमनामी में चला जाना, अब इसकी पुनर्खोज से संत अरक्षित के जीवन और उनकी शिक्षाओं के बारे में नई जानकारी मिलने की संभावना को उजागर करता है। महासुन्नी ग्रंथ, जो उनके आध्यात्मिक अनुभवों और दर्शन का सार है, के साथ इस शिलालेख का मिलना इसकी महत्ता को और बढ़ा देता है।
संत अरक्षित दास, जो ओडिशा के एक प्रमुख संत और कवि थे, ने 18वीं शताब्दी में 'महिमा धर्म' के सिद्धांतों को फैलाया। उन्होंने सरल भाषा में आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार किया और समाज में समानता और भाईचारे पर जोर दिया। उनका साधना स्थल भुवन बावा आज भी उनके अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र बना हुआ है।
इस शिलालेख की गहन जांच और विश्लेषण से संत अरक्षित के आध्यात्मिक कार्यों और तत्कालीन समाज पर उनके प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी। यह खोज ओडिशा की समृद्ध धार्मिक और साहित्यिक विरासत में एक नया अध्याय जोड़ती है, जिससे भविष्य के शोधकर्ताओं के लिए नए रास्ते खुलेंगे।