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कंबोडिया-थाईलैंड विवाद: भगवान विष्णु की मूर्ति तोड़ने पर नाराजगी

कंबोडिया और थाईलैंड के बीच एक नया विवाद उत्पन्न हुआ है जब थाई सेना ने भगवान विष्णु की एक मूर्ति को तोड़ दिया। कंबोडिया ने इसे अवैध कार्रवाई बताते हुए नाराजगी जताई है। भारत ने भी इस घटना पर चिंता व्यक्त की है, यह कहते हुए कि धार्मिक प्रतीकों का अपमान श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत करता है। जानें इस विवाद के ऐतिहासिक पहलुओं और दोनों देशों के बीच के तनाव के बारे में।
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कंबोडिया-थाईलैंड विवाद: भगवान विष्णु की मूर्ति तोड़ने पर नाराजगी

कंबोडिया की प्रतिक्रिया

कंबोडिया ने थाईलैंड पर आरोप लगाया है कि उसने अवैध तरीके से भगवान विष्णु की एक मूर्ति को तोड़ दिया। यह घटना 22 दिसंबर को हुई थी। कंबोडिया के प्रीह विहार प्रांत के सरकारी प्रवक्ता किम चानपनहा ने बताया कि यह मूर्ति थाईलैंड की सीमा से लगभग 100 मीटर दूर स्थापित की गई थी। पिछले छह महीनों से प्रीह विहार मंदिर के क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद चल रहा है, जिसमें जून में एक संघर्ष भी हुआ था।


भारत की चिंता

भारत ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि धार्मिक प्रतीकों का अपमान श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत करता है। उन्होंने बताया कि दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में हिंदू और बौद्ध देवी-देवताओं की गहरी श्रद्धा है। ये प्रतीक क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं।


धार्मिक धरोहरों का महत्व

विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों को नुकसान पहुंचाने से मतभेद बढ़ते हैं। भारत ने थाईलैंड और कंबोडिया से अपील की है कि वे बातचीत के माध्यम से शांति बहाल करें और सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखें।


118 साल पुराना विवाद

कंबोडिया और थाईलैंड के बीच सीमा विवाद 118 साल पुराना है। इसका केंद्र प्रीह विहार और ता मुएन थॉम जैसे प्राचीन मंदिर हैं। 1907 में, जब कंबोडिया फ्रांस के अधीन था, तब सीमा खींची गई थी। थाईलैंड ने इस पर आपत्ति जताई थी।


अंतरराष्ट्रीय अदालत का फैसला

यह विवाद 1959 में अंतरराष्ट्रीय अदालत तक पहुंचा, जिसने 1962 में प्रीह विहार मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा माना। थाईलैंड ने इस फैसले को स्वीकार किया, लेकिन आसपास की भूमि पर अपना दावा जारी रखा है।