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कजाखस्तान में सार्वजनिक स्थलों पर चेहरे को ढकने पर प्रतिबंध

कजाखस्तान ने हाल ही में सार्वजनिक स्थलों पर चेहरे को ढकने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है, जो सुरक्षा कारणों से जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री तोकायेव का कहना है कि यह कदम देश की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने के लिए है। हालांकि, इस फैसले ने समाज में विभाजन पैदा किया है, जहां कुछ इसे प्रगति मानते हैं, वहीं अन्य इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन मानते हैं। जानें इस कानून के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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कजाखस्तान का नया कानून

कजाखस्तान, जो एक मुस्लिम बहुल देश है, ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसने देश में बहस को जन्म दिया है। प्रधानमंत्री कासिम जोमार्ट तोकायेव ने एक नया कानून लागू किया है, जिसके अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर चेहरे को पूरी तरह से ढकने पर रोक लगा दी गई है। सरकार का तर्क है कि चेहरे को छिपाने से फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक की प्रभावशीलता प्रभावित होती है, जो आजकल कई सार्वजनिक और प्रशासनिक स्थानों पर आवश्यक हो गई है।


यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कजाखस्तान में मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है, जहां हिजाब और अन्य धार्मिक परिधान सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा माने जाते हैं। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस प्रतिबंध का उद्देश्य धार्मिक भेदभाव नहीं है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है। प्रधानमंत्री तोकायेव ने कहा कि देश को अपनी परंपराओं को प्राथमिकता देनी होगी और आधुनिक तकनीक के साथ तालमेल बैठाना होगा।


इस फैसले ने समाज के विभिन्न वर्गों में मिश्रित प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। जहां सरकार इसे प्रगति और सुरक्षा का प्रतीक मानती है, वहीं कई नागरिकों, विशेषकर युवाओं का मानना है कि इससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक अधिकारों को खतरा हो सकता है। 2023 में, कजाखस्तान के एक स्कूल की लगभग 150 छात्राओं ने हिजाब पर प्रतिबंध हटाने की मांग करते हुए स्कूल जाना बंद कर दिया था। यह विरोध दर्शाता है कि इस कानून के प्रति असहमति अभी भी विद्यमान है।


सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय पहचान के निर्माण में पहनावे की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्री तोकायेव ने सुझाव दिया है कि काले कपड़ों में चेहरा ढकने के बजाय कजाखों की पारंपरिक पोशाकों को अपनाना अधिक उपयुक्त होगा, जिससे सांस्कृतिक विरासत को भी मजबूती मिलेगी। हालांकि, यह निर्णय विवादों से मुक्त नहीं है, क्योंकि कुछ लोगों का मानना है कि नागरिकों को अपनी पसंद के कपड़े पहनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।


यह ध्यान देने योग्य है कि कजाखस्तान के अलावा, सोवियत संघ के पूर्व अन्य देशों जैसे कि किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान में भी हिजाब या चेहरे को ढकने पर प्रतिबंध जैसी नीतियां लागू हैं। ये निर्णय उन देशों की सांस्कृतिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं, जो अपनी अलग राष्ट्रीय पहचान स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं।