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कतर में इजरायल के हमले पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

कतर में इजरायल के हमले के बाद भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कतर के अमीर से बातचीत कर इस हमले की निंदा की और कतर की संप्रभुता का समर्थन किया। हमास ने भी इस हमले में अपने नेताओं के बचने का दावा किया है। इस घटना ने क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है। जानें इस हमले के पीछे की कहानी और भारत की प्रतिक्रिया के बारे में।
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कतर में इजरायल के हमले पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

इजरायल का हमला और कतर की प्रतिक्रिया

इजरायल ने हमास के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए कतर की राजधानी दोहा में हमला किया। इस हमले का उद्देश्य हमास के पोलित ब्यूरो के सदस्यों को निशाना बनाना था, जिसके बाद स्थिति और बिगड़ गई। कतर ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि उसे इस प्रकार की कार्रवाई का जवाब देने का पूरा अधिकार है।


इस बीच, भारत के प्रधानमंत्री ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन थानी से बातचीत की, जिसमें उन्होंने इजरायल के हमले की खुलकर निंदा की। प्रधानमंत्री मोदी ने दोहा में हुए हमलों पर चिंता व्यक्त की।


प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट के माध्यम से इस हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा कतर की संप्रभुता का सम्मान करता है और संवाद तथा कूटनीति के माध्यम से समस्याओं के समाधान का समर्थन करता है। उन्होंने आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया।


मोदी ने कहा कि उन्होंने कतर के अमीर से बात की और दोहा में हुए हमलों पर गहरी चिंता व्यक्त की। भारत इस घटना की निंदा करता है, जो कतर की संप्रभुता का उल्लंघन है।


हमास का बयान और इजरायली कार्रवाई

हमास ने एक बयान में कहा कि उसके शीर्ष नेता इस हमले में बच गए हैं, हालांकि संगठन ने कोई ठोस प्रमाण नहीं दिया है। इस हमले में मारे गए लोगों में हमास के वरिष्ठ नेता खलील अल-हैय्या के बेटे और उनके तीन अंगरक्षक शामिल हैं। गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल की सैन्य कार्रवाई में अब तक 64,600 से अधिक फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं।


कतर के प्रधानमंत्री का बयान

कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल सानी ने कहा कि इजरायल द्वारा किए गए इस हमले ने गाज़ा में बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई की उम्मीद को समाप्त कर दिया है। उन्होंने यह बयान संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनी उपस्थिति से पहले दिया। इस हमले में कम से कम छह लोगों की मौत हुई थी।