कमल हासन का शिक्षा पर विवादास्पद बयान: क्या तोड़ सकती है सनातन धर्म की बेड़ियाँ?

कमल हासन का नया दृष्टिकोण
कमल हासन, जो तमिल सिनेमा के एक प्रमुख अभिनेता हैं, ने हाल ही में शिक्षा को सनातन धर्म की बेड़ियाँ तोड़ने का एक साधन बताया है। उनका यह बयान उस समय आया जब उन्होंने शिक्षा को एक ऐसा उपकरण बताया, जो समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त कर सकता है। हासन, जो खुद को नास्तिक मानते हैं, ने यह भी कहा कि वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। हालांकि, उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि और डीएमके पार्टी के साथ संबंधों के कारण, उन्हें अक्सर सनातन धर्म के खिलाफ बयान देने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
शिक्षा का व्यापक प्रभाव
कमल हासन का यह कहना कि शिक्षा केवल सनातन धर्म की बेड़ियाँ तोड़ सकती है, एक विवादास्पद दृष्टिकोण है। वास्तव में, शिक्षा सभी धर्मों की रूढ़ियों और सामाजिक बंधनों को चुनौती देने की क्षमता रखती है। उदाहरण के लिए, जाति व्यवस्था, जो कि सनातन धर्म में एक गंभीर मुद्दा है, शिक्षा के माध्यम से दलितों और अन्य वंचित वर्गों को सशक्त बनाने में मदद मिली है। इसी तरह, इस्लाम में भी कई बुराइयाँ हैं, जिन पर शिक्षा ने सकारात्मक प्रभाव डाला है।
धर्मों में समानता की आवश्यकता
ईसाई धर्म में भी कई समस्याएँ हैं, जो आज भी विकसित देशों में मौजूद हैं। अमेरिका और यूरोप में कैथोलिक चर्च का प्रभाव महिलाओं के अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। हासन का यह कहना कि केवल सनातन धर्म में बुराइयाँ हैं, यह दर्शाता है कि वे अन्य धर्मों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं।
कमल हासन का राजनीतिक दृष्टिकोण
कमल हासन ने एक बार कहा था कि वे नास्तिक नहीं, बल्कि तर्कवादी हैं। लेकिन जब बात वोट मांगने की आती है, तो वे तमिलनाडु की जनसांख्यिकी के अनुसार खुद को नास्तिक घोषित कर देते हैं। यह दर्शाता है कि वे राजनीतिक लाभ के लिए अपने विचारों को बदलने में संकोच नहीं करते।
सार्वजनिक छवि और विवाद
कमल हासन ने 2015 में कहा था कि वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, लेकिन जब उनकी फिल्म 'विश्व रूपम' में मुस्लिम आतंकवाद को दर्शाया गया, तो उन्होंने अपने सिद्धांतों को नजरअंदाज कर दिया। यह दर्शाता है कि हासन की सार्वजनिक छवि और उनके विचारों में एक बड़ा अंतर है।