करवा चौथ 2025: चांद के दीदार के साथ मनाया गया यह पावन पर्व

करवा चौथ का उत्सव
करवा चौथ 2025 का जश्न: यह पवित्र पर्व पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। जैसे ही शाम को चांद का दीदार हुआ, विवाहित महिलाओं ने दिनभर का निर्जला उपवास चंद्रमा को अर्घ्य देकर समाप्त किया। सूर्योदय से शुरू हुआ यह कठिन व्रत चंद्रदर्शन के साथ समाप्त हुआ, जिसमें पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना की गई। दिल्ली, मुंबई, जयपुर, लखनऊ और कोलकाता जैसे कई शहरों में चांद निकलने के साथ ही मंदिरों और घरों में उत्सव का माहौल बन गया।
पहली बार व्रत रखने वाली महिलाओं का उत्साह
इस पर्व को देश के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार मनाया। शहरों की सोसाइटियों और मंदिरों में महिलाओं ने सामूहिक रूप से करवाचौथ की कथा सुनी और पूजा की। मिट्टी की प्रतिमाएं बनाकर महिलाएं कथा पाठ में जुटीं और पूजा-अर्चना की। खासकर पहली बार व्रत रखने वाली महिलाओं में विशेष उत्साह देखने को मिला। कई महिलाएं ससुराल या मायके से भेजी गई सर्गी खाकर सुबह व्रत की शुरुआत करती नजर आईं।
बाजारों में चहल-पहल
करवा चौथ के अवसर पर बाजारों में भारी भीड़ देखी गई। पूजा सामग्री, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और कपड़ों की दुकानों पर महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ी। ब्यूटी पार्लर में पहले से अपॉइंटमेंट होने के बावजूद महिलाएं घंटों इंतजार करती रहीं। दिनभर महिलाएं तैयारियों में व्यस्त रहीं, वहीं शाम होते-होते चांद के दीदार का बेसब्री से इंतजार करती नजर आईं। कई जगहों पर चांद नीचे दिखने के कारण महिलाओं को ऊंची इमारतों की छतों पर जाकर चंद्रदर्शन करना पड़ा।
पारंपरिक परिधान में सजी महिलाएं
गाजियाबाद के ट्रांस हिंडन क्षेत्र और राजनगर एक्सटेंशन की कई हाउसिंग सोसाइटियों जैसे शिप्रा सन सिटी, केडीपी ग्रैंड सवाना, रिवर हाइट्स, क्लाउड नाइन और प्रतीक ग्रैंड सिटी में करवा चौथ धूमधाम से मनाया गया। महिलाएं सोलह श्रृंगार कर पारंपरिक पोशाकों में सजी-धजी नजर आईं। इनरव्हील क्लब द्वारा पूजा का आयोजन भी किया गया। जैसे ही चांद निकला, महिलाओं ने पूजा कर अपने पतियों के हाथों से पानी पीकर व्रत खोला और पूरा दिन भूखे रहने के बाद सुकून महसूस किया।
धार्मिक परंपरा और वैवाहिक प्रेम
करवा चौथ केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह वैवाहिक प्रेम, समर्पण और विश्वास की जीवंत मिसाल है। इस पर्व पर देशभर में दिखी आस्था और उल्लास ने भारतीय संस्कृति की गहराई को फिर से उजागर किया। चाहे पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं हों या वर्षों से निभा रहीं सुहागिनें, सभी ने एक ही भावना के साथ इस पर्व को मनाया, अपने जीवनसाथी की सलामती और साथ की कामना के साथ।