कर्नाटक में कबूतरों को दाना डालने पर सख्त पाबंदी की तैयारी
कर्नाटक सरकार का नया कदम
नई दिल्ली - कर्नाटक सरकार शहरी क्षेत्रों में बढ़ती सांस संबंधी बीमारियों के मद्देनजर सख्त कदम उठाने की योजना बना रही है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने सार्वजनिक स्थानों पर कबूतरों को दाना डालने पर रोक लगाने का निर्णय लिया है, और यदि स्थिति गंभीर हुई तो पूर्ण प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है। इस संदर्भ में, स्वास्थ्य विभाग ने शहरी विकास विभाग को पत्र भेजकर कबूतरों को बिना नियंत्रण के खाना खिलाने पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने का अनुरोध किया है.
स्पष्ट दिशानिर्देशों की आवश्यकता
स्वास्थ्य विभाग ने ग्रेटर बेंगलूरु अथॉरिटी (GBA) और राज्य के सभी नगर निगमों को इस विषय पर स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले खुले में कुत्तों को खाना खिलाने पर दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिसके बाद अब कबूतरों के मामले में भी नियम कड़े करने की तैयारी है.
फीडिंग जोन का प्रस्ताव
प्रस्ताव के अनुसार, जिन क्षेत्रों में कबूतरों को दाना डालने से सार्वजनिक असुविधा या स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न हो रहा है, वहां इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा सकता है। हालांकि, कुछ निर्धारित स्थानों पर नियंत्रित परिस्थितियों में कबूतरों को भोजन देने की अनुमति दी जा सकती है। ऐसे 'फीडिंग जोन' के रखरखाव की जिम्मेदारी मान्यता प्राप्त चैरिटेबल संस्थाओं या गैर-सरकारी संगठनों को सौंपी जा सकती है.
जुर्माना और कानूनी कार्रवाई
प्रस्ताव के तहत, स्थानीय निकायों के अधिकारियों को मौके पर ही चेतावनी देने, जुर्माना लगाने और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार दिया जाएगा। इसके साथ ही, नगर निगमों को व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश भी दिए जाएंगे, ताकि लोगों को कबूतरों को दाना डालने से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों और नियमों के उल्लंघन पर दंड की जानकारी दी जा सके.
स्वास्थ्य विभाग की चेतावनी
स्वास्थ्य विभाग ने अपने पत्र में कहा है कि भीड़भाड़ वाले इलाकों में कबूतरों की बीट और पंखों का अत्यधिक जमाव एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनिटिस और फेफड़ों से जुड़ी अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.
कानूनी आधार और अन्य राज्यों का उदाहरण
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद बृहद मुंबई नगर निगम पहले ही इस तरह के नियामक कदम लागू कर चुका है। स्वास्थ्य विभाग ने भारतीय न्याय संहिता-2023 की धाराओं 270, 271 और 272 का हवाला दिया है, जो सार्वजनिक परेशानी और खतरनाक बीमारियों के प्रसार से जुड़े मामलों में लागू होती हैं.
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
हालांकि, कई रिहायशी इलाकों में कबूतरों को दाना डालने वाले लोग स्वास्थ्य मंत्रालय के इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं और इसे अपनी परंपरा और आस्था से जोड़कर देख रहे हैं। इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में बहस और तेज होने की संभावना है.
