कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें: कांग्रेस ने दी स्पष्टता

कर्नाटक की राजनीति में स्थिरता
Karnataka Politics: कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच, कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि पार्टी के भीतर किसी भी प्रकार के नेतृत्व परिवर्तन पर विचार नहीं किया जा रहा है। हाल के दिनों में उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग के चलते राजनीतिक हलचल बढ़ गई थी, लेकिन सुरजेवाला के बयान ने इस पर फिलहाल विराम लगा दिया है।
सुरजेवाला का बयान
सुरजेवाला ने कहा कि यदि किसी विधायक को कोई चिंता है, तो उसे पार्टी और सरकार के भीतर उठाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने स्पष्ट किया है कि राज्य में विकास कार्यों के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध है।
DK शिवकुमार के समर्थन में विधायकों की आवाज
DK शिवकुमार के पक्ष में विधायकों का समर्थन
कांग्रेस विधायक इक़बाल हुसैन ने मंगलवार को दावा किया कि लगभग 100 विधायक चाहते हैं कि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाए। इससे पहले भी कई कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर अपनी राय रख चुके हैं, जिससे शिवकुमार के समर्थकों की मांगों को और बल मिला है।
कांग्रेस का स्पष्ट रुख
नेतृत्व में कोई परिवर्तन नहीं: कांग्रेस
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मीडिया में चल रही चर्चाएं केवल 'कल्पनाओं की उड़ान' हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस नेतृत्व की ओर से नेतृत्व परिवर्तन पर कोई चर्चा नहीं हो रही है, यह केवल एक संगठनात्मक प्रक्रिया है जो AICC और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति द्वारा की जा रही है।
असंतोष और संगठनात्मक बैठकें
असंतोष और संगठनात्मक बैठकें
सोमवार को कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी ने चिकबल्लापुर और कोलार जिलों के विधायकों के साथ बैठक की थी। कागवाड के विधायक राजू कागे, जो मंत्रियों की कार्यशैली को लेकर असंतुष्ट हैं, भी पार्टी महासचिव से मिलने वाले हैं। कागे ने विकास कार्यों और फंड जारी करने में देरी का हवाला देते हुए इस्तीफे तक के संकेत दिए थे।
खड़गे का बयान और विपक्ष की प्रतिक्रिया
खड़गे के बयान पर भी सियासी प्रतिक्रिया
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मुख्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण निर्णय पार्टी हाईकमान द्वारा लिए जाएंगे। उनके इस बयान पर बीजेपी नेता आर अशोक ने तंज कसते हुए पूछा कि 'अगर खड़गे हाईकमान नहीं हैं, तो फिर कौन है?' इससे स्पष्ट है कि कर्नाटक की राजनीति में नेतृत्व को लेकर चर्चा केवल कांग्रेस तक सीमित नहीं है, बल्कि विपक्ष भी इस पर नजर बनाए हुए है।