कर्नाटक में परिवहन हड़ताल: मेट्रो सेवाओं पर बढ़ा दबाव, सरकार की प्रतिक्रिया

कर्नाटक परिवहन हड़ताल का प्रभाव
Karnataka Transport Strike: कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) के कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल ने राज्यभर में सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। बेंगलुरू में, नम्मा मेट्रो की ओर जाने वाले यात्रियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। मंगलवार को मेट्रो स्टेशनों पर लंबी कतारें देखी गईं, क्योंकि बीएमटीसी की सीमित बस सेवाओं के कारण अन्य परिवहन विकल्प काफी कम हो गए थे। हड़ताल के चलते कर्नाटक के विभिन्न क्षेत्रों में अंतर-राज्यीय और राज्य के भीतर बस सेवाएं बाधित हुई हैं, जिससे हजारों यात्री फंसे हुए हैं।
बेंगलुरू मेट्रो में यात्रियों की भीड़
बेंगलुरू के मैजेस्टिक मेट्रो स्टेशन पर मंगलवार को यात्रियों की भारी भीड़ देखी गई। KSRTC की हड़ताल के कारण बीएमटीसी की बस सेवाओं में कमी आई है, जिससे नम्मा मेट्रो पर यात्रियों का दबाव बढ़ गया है। रियो डी जेनेरियो जैसे प्रमुख क्षेत्रों से यात्रा करने वाले लोग मेट्रो सेवाओं का सहारा ले रहे हैं, क्योंकि उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है।
राज्य में सार्वजनिक परिवहन सेवाओं पर असर
कर्नाटक के प्रमुख शहरों जैसे हुबली, दावणगेरे, होसकोटे, बागलकोट, बेलगावी, मैसूर और रामनगर में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं। विशेष रूप से कल्याण कर्नाटक और उत्तर-पश्चिम कर्नाटक क्षेत्रों में बसों का संचालन बंद हो गया है, जिससे हजारों यात्री फंसे हुए हैं या अन्य परिवहन साधनों की तलाश कर रहे हैं।
कर्नाटक सरकार की प्रतिक्रिया और योजना
कर्नाटक के परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा, 'बेंगलुरू में 100 प्रतिशत बसें सड़कों पर हैं, जबकि जिलों में लगभग 50 प्रतिशत बसें चल रही हैं। अधिकारियों को उम्मीद है कि दोपहर तक स्थिति सामान्य हो जाएगी।' उन्होंने यह भी बताया कि इस मुद्दे पर कर्नाटक उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसकी सुनवाई आज होगी। इसके बाद सरकार आगे की कार्रवाई पर निर्णय लेगी।
हड़ताल का कारण और सरकार की पहल
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री ने हड़ताल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'मैं यह नहीं कहता कि उनकी मांगें गलत हैं, लेकिन उन्हें सरकार के रुख पर भी विचार करना चाहिए। मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री इस मुद्दे को सुलझाने के लिए इच्छुक हैं।' उन्होंने कर्मचारियों से अपील की कि वे जनता की असुविधा को ध्यान में रखते हुए सहयोग करें और काम पर लौटें।
कर्नाटक सरकार और कर्मचारियों के बीच बाधा
हड़ताल का मुख्य कारण KSRTC कर्मचारियों की वेतन संशोधन और बकाया राशि को लेकर विवाद है। यूनियनें मौजूदा 1,124 रुपये के मूल वेतन में 25 प्रतिशत की वृद्धि और 38 महीनों के बकाए की मांग कर रही हैं, जिसकी अनुमानित राशि 1,800 करोड़ रुपये है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने यूनियनों से हड़ताल वापस लेने की अपील की और 14 महीने के बकाया का भुगतान करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन यूनियन नेताओं ने इसे अस्वीकार कर दिया।
आगे की स्थिति
कर्नाटक में चल रही हड़ताल और इसके कारण उत्पन्न समस्याएं, खासकर सार्वजनिक परिवहन में व्यवधान, राज्य सरकार और कर्मचारियों के बीच आगामी बातचीत के परिणाम पर निर्भर करेंगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार और कर्मचारियों के बीच किसी समझौते पर पहुंचा जा सकता है, ताकि स्थिति जल्दी सामान्य हो सके।