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कर्नाटक सरकार का निलंबन आदेश रद्द, ट्रिब्यूनल ने RCB को ठहराया जिम्मेदार

कर्नाटक में हुई एक गंभीर भगदड़ के मामले में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने IPS अधिकारी विकास कुमार का निलंबन रद्द कर दिया है। ट्रिब्यूनल ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है, यह कहते हुए कि पुलिस को उचित समय नहीं दिया गया। इस निर्णय ने कई सवाल उठाए हैं, और सरकार के पास इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देने का विकल्प है।
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कर्नाटक सरकार का निलंबन आदेश रद्द, ट्रिब्यूनल ने RCB को ठहराया जिम्मेदार

कर्नाटक में भगदड़ के मामले में ट्रिब्यूनल का निर्णय

नई दिल्ली - केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी विकास कुमार के खिलाफ कर्नाटक सरकार द्वारा जारी निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है। यह कार्रवाई पिछले महीने हुई एक गंभीर भगदड़ के संदर्भ में की गई थी, जिसमें 11 लोगों की जान गई थी। यह घटना चार जून को एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के सामने हुई थी, जिसके बाद योजना और भीड़ प्रबंधन को लेकर तीखी आलोचना हुई थी। ट्रिब्यूनल ने इस भगदड़ के लिए रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) को जिम्मेदार ठहराया है।


आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आरसीबी ने पुलिस से कोई पूर्व अनुमति नहीं ली थी और अचानक सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर दिया। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि पुलिसकर्मी भी इंसान हैं और उनके पास अलादीन का चिराग नहीं है। आदेश में उल्लेख किया गया है, 'RCB ने बिना पुलिस की अनुमति के विजय जुलूस का आमंत्रण पोस्ट किया, जिससे भारी भीड़ उमड़ पड़ी और पुलिस को सुरक्षा इंतज़ाम के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला।'


ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा, 'पुलिसकर्मी भी इंसान हैं, न तो भगवान और न ही जादूगर। उनके पास 'अलादीन का चिराग' नहीं है, जिससे वे एक झटके में सारी व्यवस्थाएं कर दें।' इस मामले में निलंबित किए गए IPS अधिकारी विकास कुमार को बड़ी राहत मिली है। ट्रिब्यूनल ने उनके निलंबन को रद्द करते हुए कहा कि उनकी निलंबन अवधि को सेवा का हिस्सा माना जाए। विकास कुमार उस समय बेंगलुरु के वेस्ट जोन के एडीशनल कमिश्नर और चिन्नास्वामी स्टेडियम के प्रभारी थे।


ट्रिब्यूनल ने कर्नाटक सरकार को यह सुझाव भी दिया है कि वह अन्य दो वरिष्ठ अधिकारियों, बेंगलुरु के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर बी दयानंद और डीसीपी शेखर एच टेक्कण्णावर के निलंबन पर पुनर्विचार करे। ट्रिब्यूनल ने कहा, 'पुलिस अधिकारियों के निलंबन का निर्णय पर्याप्त सबूतों पर आधारित नहीं है। निर्णय के समय ऐसा कोई ठोस आधार नहीं था जिससे यह साबित हो कि इन अधिकारियों की लापरवाही से यह हादसा हुआ।' हालांकि, सरकार चाहें तो इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकती है।