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कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक्स की याचिका को किया खारिज, सोशल मीडिया पर नियंत्रण की आवश्यकता

कर्नाटक हाई कोर्ट ने इलॉन मस्क के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें सरकार के कंटेंट हटाने के आदेश के खिलाफ अपील की गई थी। कोर्ट ने सोशल मीडिया पर नियंत्रण की आवश्यकता पर जोर दिया, विशेषकर महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों में। जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानूनी सीमाओं के बीच संतुलन की बात की। एक्स ने चिंता जताई कि यदि सामग्री इतनी आसानी से हटाई गई, तो यह उपयोगकर्ताओं के विश्वास को प्रभावित करेगा। जानें इस मामले में सरकार का क्या कहना है।
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कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक्स की याचिका को किया खारिज, सोशल मीडिया पर नियंत्रण की आवश्यकता

कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला

बेंगलुरू। दुनिया के प्रमुख व्यवसायी इलॉन मस्क के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स द्वारा सरकार के खिलाफ दायर याचिका को कर्नाटक हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। एक्स ने सोशल मीडिया से सामग्री हटाने के सरकारी आदेश के खिलाफ यह याचिका दायर की थी। कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर नियंत्रण आवश्यक है। जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने इस मामले में कहा कि विशेषकर महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों में सोशल मीडिया सामग्री का नियंत्रण अत्यंत महत्वपूर्ण है।


अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानूनी सीमाएं

जस्टिस नागप्रसन्ना ने यह भी स्पष्ट किया कि, 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नागरिकों का अधिकार है, लेकिन इसके लिए कुछ सीमाएं भी निर्धारित की गई हैं। अमेरिका के कानूनों और निर्णयों को भारत के संविधान पर सीधे लागू नहीं किया जा सकता।' उल्लेखनीय है कि एक्स ने मार्च में भारत सरकार के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सरकारी अधिकारी एक्स पर सामग्री को ब्लॉक कर रहे हैं, जो आईटी कानून की धारा 79(3)(बी) का गलत उपयोग है।


सरकार का पक्ष

सोशल मीडिया कंपनी एक्स ने कहा कि यदि सामग्री इतनी आसानी से हटाई जाने लगी, तो वे अपने उपयोगकर्ताओं का विश्वास खो देंगे, जिससे कंपनी के व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। एक्स ने यह भी कहा कि सरकार सामग्री हटाने का आदेश सहयोग पोर्टल के माध्यम से देती है। दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने अदालत में कहा कि अवैध सामग्री को हटाना आवश्यक है। सरकार ने यह भी कहा कि अवैध या कानून के खिलाफ सामग्री को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समान संरक्षण नहीं दिया जा सकता। केंद्र ने कहा, 'सोशल मीडिया कंपनियों को मिलने वाली सेफ हार्बर सुरक्षा केवल तभी लागू होगी जब वे शिकायत मिलने पर तुरंत गलत सामग्री को हटाएं।'