कर्नाटक हाई कोर्ट ने परशुराम मूर्ति पुनर्निर्माण के लिए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया

कर्नाटक हाई कोर्ट का निर्णय
कर्नाटक हाई कोर्ट ने 9 सितंबर 2025 को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। इस याचिका में उडुपी जिले के करकला में स्थित परशुराम थीम पार्क में भगवान परशुराम की 33 फीट ऊंची मूर्ति के पुनर्निर्माण की मांग की गई है, जिसे निर्माण के कुछ महीनों बाद हटा दिया गया था।
याचिकाकर्ता की मांग
याचिकाकर्ता उदय शेट्टी मुनियाल ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि वह परशुराम थीम पार्क में भगवान परशुराम की मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुनर्स्थापना के लिए उनकी अर्जी पर विचार करे। इसके लिए नई निविदाएं जारी कर एक प्रतिष्ठित मूर्तिकार को नियुक्त करने की मांग की गई है।
याचिका में उठाए गए मुद्दे
याचिका में क्या है मांग?
याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि मूर्ति को कांस्य (ब्रॉन्ज) के बजाय पीतल (ब्रास) से बनाया गया, जो एक गंभीर धोखाधड़ी है। इससे न केवल जनता का विश्वास टूटा, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा को भी खतरा हुआ। याचिका के अनुसार, मूर्ति का ऊपरी हिस्सा 12 अक्टूबर 2023 को हटा दिया गया, जिससे थीम पार्क अधूरा रह गया और भक्तों की भावनाएं आहत हुईं।
कर्नाटक हाई कोर्ट की कार्रवाई
कर्नाटक हाई कोर्ट ने क्या की कार्रवाई!
कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस विबु बखरु और जस्टिस सी एम जोशी की खंडपीठ ने पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता को निर्देश दिया था कि वह हाई कोर्ट रजिस्ट्री में 5 लाख रुपये जमा करें, ताकि मूर्ति पुनर्निर्माण में योगदान दिया जा सके। मंगलवार को याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को सूचित किया कि राशि जमा कर दी गई है। इसके बाद, हाई कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को तय की।
याचिकाकर्ता का परिचय
याचिकाकर्ता का दावा
उदय शेट्टी मुनियाल ने बताया कि वह कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सक्रिय सदस्य हैं और 2023 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार भी रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह याचिका तटीय कर्नाटक के लाखों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए दायर की गई है, जिनके लिए भगवान परशुराम "परशुराम क्षेत्र (तुलु नाडु और करावली क्षेत्र)" के सृजनकर्ता के रूप में अत्यंत पूजनीय हैं।
धोखाधड़ी का मामला
थीम पार्क और धोखाधड़ी का मामला
परशुराम थीम पार्क का उद्घाटन 27 जनवरी 2023 को भगवान परशुराम की 33 फीट ऊंची कांस्य मूर्ति के साथ किया गया था, जिसके लिए सार्वजनिक धन से फंडिंग की गई थी। बाद में, राज्य सरकार ने सीआईडी जांच का आदेश दिया और मूर्तिकार कृष्णा नाइक के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि मूर्ति कांस्य के बजाय पीतल से बनाई गई थी।
धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन
धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन
इस याचिका में दावा किया गया है कि यह मामला संविधान के आर्टिकल 25 और 26 (धर्म की स्वतंत्रता और धार्मिक संस्थानों की रक्षा) का स्पष्ट उल्लंघन है। याचिकाकर्ता का कहना है कि परशुराम क्षेत्र के भक्तों के लिए मूर्ति की स्थापना, रखरखाव और पूजा एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है। इसका उपेक्षा या अनुचित पुनर्निर्माण उनके धर्म के स्वतंत्र अभ्यास के अधिकार का उल्लंघन है।