कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश पर 'एक्स' की चिंता, एलन मस्क करेंगे चुनौती

कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला
नई दिल्ली - कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के टेक डाउन आदेश को चुनौती देने वाली 'एक्स' की याचिका को अस्वीकार कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि भारत में कार्य करने के लिए स्थानीय कानूनों का पालन करना आवश्यक है। याचिका खारिज होने के बाद, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
एलन मस्क की प्रतिक्रिया
एलन मस्क के 'एक्स' प्लेटफॉर्म ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "हमें कर्नाटक की अदालत के हालिया आदेश से गहरी चिंता है, जो लाखों पुलिस अधिकारियों को 'सहयोग' नामक एक गुप्त ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से मनमाने ढंग से सामग्री हटाने का आदेश देने की अनुमति देता है। यह नई व्यवस्था कानून के तहत कोई आधार नहीं रखती है। यह आईटी अधिनियम की धारा 69A का उल्लंघन करती है और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का भी उल्लंघन करती है, जिससे भारतीय नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन होता है।"
सामग्री हटाने की प्रक्रिया पर सवाल
पोस्ट में आगे कहा गया कि 'सहयोग' अधिकारियों को केवल "अवैधता" के आरोपों के आधार पर, न्यायिक समीक्षा या उचित प्रक्रिया के बिना, सामग्री हटाने का आदेश देने की अनुमति देता है। इसके अलावा, गैर-अनुपालन के लिए प्लेटफार्मों पर आपराधिक दायित्व की धमकी भी दी जाती है। 'एक्स' भारतीय कानून का सम्मान करता है, लेकिन यह आदेश मूल संवैधानिक मुद्दों को संबोधित करने में विफल है और बॉम्बे हाईकोर्ट के हालिया निर्णय के साथ असंगत है, जिसमें समान व्यवस्था को असंवैधानिक बताया गया था। हम इस विचार से असहमत हैं कि विदेश में हमारे संचालन के कारण हमें इन चिंताओं को उठाने का कोई अधिकार नहीं है। 'एक्स' भारत में सार्वजनिक संवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हमारे उपयोगकर्ताओं की आवाज हमारे मंच का केंद्र है। हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए इस आदेश के खिलाफ अपील करेंगे।