कर्नाटक हाईकोर्ट ने रूसी नागरिक नीना कुटिना के निर्वासन पर लगाई रोक, बच्चों की भलाई को दी प्राथमिकता

महत्वपूर्ण फैसला
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गोकर्ण की एक गुफा में अपनी दो बेटियों के साथ रह रही रूसी नागरिक नीना कुटिना के निर्वासन पर अस्थायी रोक लगा दी है। अदालत ने बच्चों के कल्याण और भविष्य को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया। नीना पर आरोप है कि वह भारत में आठ साल से वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी अवैध रूप से रह रही हैं।
बच्चों की सुरक्षा पर जोर
न्यायमूर्ति एस. सुनील दत्त यादव की एकल पीठ ने बुधवार को यह आदेश दिया। उन्होंने कहा कि महिला को जबरन देश से बाहर भेजने का निर्णय उसके बच्चों की सुरक्षा के लिए हानिकारक हो सकता है। अदालत ने संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार संधि (UNCRC) के अनुच्छेद 3 का उल्लेख करते हुए बच्चों के हित को सर्वोपरि बताया।
नीना कुटिना का परिचय
40 वर्षीय नीना कुटिना, जो रूस की नागरिक हैं, को 9 जुलाई को कर्नाटक के गोकर्ण में रामतीर्थ पर्वत की एक गुफा में अपनी दो बेटियों के साथ पाया गया था। पुलिस के अनुसार, वह आठ वर्षों से वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी भारत में रह रही थीं। नीना ने अधिकारियों को बताया कि उन्होंने गोवा छोड़कर गोकर्ण का रुख इसलिए किया क्योंकि वह 'आध्यात्मिक एकांत और प्रकृति के करीब' रहना चाहती थीं। वर्तमान में, महिला और उसकी दोनों बेटियों को तु्मकुरु जिले के एक आश्रय गृह में रखा गया है।
विवादों से भरा अतीत
नीना के पूर्व साथी, डॉर गोल्डस्टीन, जो एक इजरायली कारोबारी हैं, ने 2017 में गोवा पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि नीना ने बच्चों को उनसे दूर कर दिया है और मानसिक तथा शारीरिक उत्पीड़न किया। गोल्डस्टीन ने यह भी कहा कि नीना अक्सर उनसे पैसे लेती थीं और उनके साथ दुर्व्यवहार करती थीं। अब जब नीना की पहचान हो गई है, तो गोल्डस्टीन ने बेटियों की संयुक्त कस्टडी की मांग दोबारा उठाई है।
आगे की प्रक्रिया
अभी के लिए, अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए इस मामले में विस्तृत जवाब मांगा है। जब तक बच्चों की भलाई और उनके भविष्य पर स्पष्ट निर्णय नहीं होता, तब तक नीना का निर्वासन नहीं किया जाएगा।