कलकत्ता हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: पुलिस ड्राइविंग लाइसेंस रद्द नहीं कर सकती

पुलिस के अधिकारों पर हाईकोर्ट का फैसला
कलकत्ता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने वाहन मालिकों के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राज्य में पुलिस किसी भी व्यक्ति का ड्राइविंग लाइसेंस रद्द नहीं कर सकती। हालांकि, यदि ट्रैफिक पुलिस किसी वैध कारण से लाइसेंस को जब्त करती है, तो वह ऐसा कर सकती है। लेकिन लाइसेंस को रद्द या निलंबित करने का अधिकार केवल लाइसेंस जारी करने वाली प्राधिकरण के पास है। यह मामला तब सामने आया जब कोलकाता के वकील सुभ्रांग्शु पांडा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रैफिक पुलिस ने उन्हें तेज गति से गाड़ी चलाने के आरोप में रोका और उनका ड्राइविंग लाइसेंस जब्त कर लिया, साथ ही मौके पर 1,000 रुपये का चालान भरने का दबाव डाला। वकील ने पुलिस को बताया कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अनुसार, पुलिस को ऐसा कोई अधिकार नहीं है और केवल लाइसेंस प्राधिकरण ही लाइसेंस रद्द कर सकती है। लेकिन पुलिस ने उनकी बात नहीं मानी, जिसके कारण उन्हें कोर्ट का सहारा लेना पड़ा।
हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपने खिलाफ लगे आरोपों को अदालत में चुनौती देना चाहता है, तो पुलिस मौके पर जबरदस्ती जुर्माना नहीं वसूल सकती या उससे कबूलनामा नहीं ले सकती। न्यायमूर्ति पार्थ सारथी चटर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि ट्रैफिक कानूनों को लागू करने के लिए पुलिस को पुनः प्रशिक्षण की आवश्यकता है, ताकि आम जनता को अनावश्यक परेशानियों का सामना न करना पड़े। कोर्ट ने ट्रैफिक पुलिस को निर्देश दिया कि ऐसे मामलों को अदालत में भेजना अनिवार्य है।