कश्मीर में पहली बर्फबारी: मौसम में बदलाव और नई उम्मीदें
कश्मीर में बर्फबारी का आगाज़
नई दिल्ली: कश्मीर में मौसम ने एक नया मोड़ लिया है, जहां सीजन की पहली बर्फबारी हुई है। चिल्लई कलां, जो कि सर्दियों की शुरुआत का संकेत है, के साथ घाटी के कई क्षेत्रों में बर्फ की चादर बिछ गई है। यह बर्फबारी लंबे समय से चल रहे सूखे के बाद राहत का प्रतीक बनकर आई है, जिससे स्थानीय लोगों में नई आशा जगी है।
बर्फबारी के स्थान
गुरेज घाटी, वारवान घाटी और कश्मीर के ऊंचे क्षेत्रों जैसे सिंथन टॉप, राजदान पास, साधना टॉप, जोजिला और सोनमर्ग में बर्फबारी हो रही है। इसके साथ ही द्रास और कारगिल के कुछ हिस्सों में भी बर्फबारी देखी गई है, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में ठंड और नमी बढ़ गई है।
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VIDEO | Jammu and Kashmir: Fresh snowfall blankets Sonamarg as 'Chillai-Kalan' hits the region.
— Press Trust of India (@PTI_News) December 21, 2025
(Full video available on PTI Videos - https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/J9m8oMihAo
पिछले दिनों की स्थिति
पिछले दो महीनों में कश्मीर में बारिश और बर्फबारी की कमी से स्थिति चिंताजनक हो गई थी। जल स्रोतों में पानी का स्तर तेजी से गिर रहा था, जिससे जनजीवन और कृषि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा था। इस बर्फबारी को लोगों के लिए एक बड़ी राहत माना जा रहा है।
मौसम विज्ञान विभाग की भविष्यवाणी
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने आगामी दिनों में और बर्फबारी की संभावना जताई है। उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मध्यम से भारी बर्फबारी हो सकती है, जो अगले कुछ दिनों तक जारी रह सकती है। इससे ग्लेशियरों और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की समीक्षा
मौसम में बदलाव के बीच, जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शीतकालीन तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने सड़कों की सफाई, बिजली आपूर्ति, पेयजल और आपात सेवाओं पर ध्यान केंद्रित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारी बर्फबारी के दौरान प्रशासन की तैयारी ही असली परीक्षा होगी।
उन्होंने बिजली विभाग को ट्रांसफार्मर और ईंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के तहत दुर्गम क्षेत्रों में 4x4 एंबुलेंस की तैनाती पर जोर दिया गया है। साथ ही जलभराव वाले क्षेत्रों में पहले से पंप लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों की चेतावनी
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि कश्मीर में मौसम का यह असंतुलन जलवायु परिवर्तन का संकेत है। अत्यधिक बारिश और लंबे सूखे अब सामान्य होते जा रहे हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अस्थायी राहत के साथ-साथ दीर्घकालिक जल संरक्षण नीति बनाना आवश्यक है।
