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कश्मीर में पहली बर्फबारी: सूखे का अंत और जल संकट में राहत

कश्मीर में हाल ही में हुई पहली बर्फबारी ने सूखे का अंत किया है और जल संकट में राहत प्रदान की है। मौसम में आए इस बदलाव ने न केवल जलस्रोतों को पुनर्जीवित किया है, बल्कि पर्यटन क्षेत्र में भी नई उम्मीदें जगाई हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शीतकालीन तैयारियों की समीक्षा की है, जिसमें बर्फबारी से निपटने के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं। जानें इस मौसम परिवर्तन के पीछे जलवायु परिवर्तन का क्या प्रभाव है और भविष्य के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं।
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कश्मीर में पहली बर्फबारी: सूखे का अंत और जल संकट में राहत

कश्मीर में मौसम में बदलाव


नई दिल्ली: कश्मीर में मौसम ने एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया है। चिलईकलां के आगमन के साथ, घाटी के विभिन्न क्षेत्रों में इस सीजन की पहली बर्फबारी हुई है, जिसने लंबे समय से चल रहे सूखे का अंत किया है। महीनों से ठंडी और शुष्क स्थिति से परेशान लोगों के लिए यह परिवर्तन एक बड़ी राहत लेकर आया है।


लगभग दो महीनों से कश्मीर में कोई वर्षा या हिमपात नहीं हुआ था, जिससे जलस्रोत तेजी से सूखने लगे थे और जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। पहाड़ों पर गिरी ताजा बर्फ ने न केवल मौसम को बदला है, बल्कि जल, पर्यावरण और पर्यटन से जुड़ी नई उम्मीदें भी जगाई हैं।


कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में बर्फबारी

गुरेज घाटी, वारवान घाटी और दक्षिण व उत्तर कश्मीर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की सूचना मिली है। इनमें सिंथन टॉप, रजदान पास, साधना टॉप, जोजिला और सोनमर्ग शामिल हैं। द्रास और कारगिल के कुछ हिस्सों में भी ताजा बर्फ गिरने की खबर है। इस बारिश और बर्फबारी ने पूरे पर्वतीय क्षेत्र में व्यापक वेट स्पेल का संकेत दिया है।


IMD का पूर्वानुमान

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने रविवार को जम्मू-कश्मीर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मध्यम से भारी बर्फबारी की संभावना जताई है। विभाग के अनुसार, अगले दो दिनों में गतिविधियां और तेज हो सकती हैं और 22 दिसंबर तक रुक-रुक कर बारिश और बर्फबारी जारी रहने की उम्मीद है।


इस वेट स्पेल से कश्मीर में जारी भीषण शुष्क ठंड से राहत मिलने की उम्मीद है, साथ ही यह ग्लेशियरों, नालों और प्राकृतिक झरनों के पुनर्भरण में भी मदद करेगा। पर्यटन क्षेत्र में भी सावधानी भरी उम्मीदें जगी हैं, जो इस बार बर्फ न पड़ने से प्रभावित हुआ था।


मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की समीक्षा

मौसम में आए बदलाव के बीच, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कश्मीर घाटी और जम्मू संभाग की शीतकालीन तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि भारी बर्फबारी से निपटने के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं, लेकिन असली परीक्षा मौसम के पूरी तरह सक्रिय होने के बाद ही होगी।


मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने दोनों डिवीजनों में तैयारियों की समीक्षा की, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां बर्फबारी की संभावना है। घाटी के सभी जिलों और जम्मू के ऊंचे इलाकों में तैयारियां अंतिम रूप दे दी गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बर्फबारी से कुछ परेशानियां होंगी, लेकिन लंबे सूखे के बाद इसका इंतजार किया जा रहा था।


जल संकट की स्थिति

लंबे समय तक बारिश और बर्फबारी न होने के कारण कश्मीर में जल संकट गहराने लगा था। नदियों, झरनों और प्राकृतिक स्रोतों में जल प्रवाह काफी कम हो गया था। कई इलाकों में जलस्रोत सूखने लगे, जिसके चलते प्रशासन को पानी के बहाव को नियंत्रित करना पड़ा। घाटी के कुछ हिस्सों में पीड़जल, सिंचाई और जलीय जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पानी का राशनिंग भी शुरू की गई है।


जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि कश्मीर के मौसम में आ रहे ये असामान्य बदलाव जलवायु परिवर्तन का परिणाम हैं। हाल के वर्षों में घाटी ने कभी कम समय में अत्यधिक वर्षा, तो कभी सूखे जैसे हालात, असामान्य गर्मियां और लंबी शुष्क सर्दियां देखी हैं।


विशेषज्ञों के अनुसार, ये बदलाव अब अपवाद नहीं रहे। मौजूदा बारिश और बर्फबारी भले ही अस्थायी राहत दे, लेकिन भविष्य के जलवायु झटकों से निपटने के लिए तात्कालिक उपायों के साथ-साथ दीर्घकालिक वैज्ञानिक जल संरक्षण रणनीति की सख्त जरूरत है।