कांग्रेस का जज वर्मा के महाभियोग पर नया रुख

जज यशवंत वर्मा का महाभियोग मामला
इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा का मामला अब काफी रोचक मोड़ ले चुका है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अपने दृष्टिकोण में बदलाव किया है। पहले पार्टी के नेता यह कह रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट की जांच के आधार पर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती। इसके साथ ही, कांग्रेस के नेताओं ने यह भी कहा था कि अगर सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन नहीं करती, तो वे जस्टिस वर्मा के मामले में भी सहयोग नहीं देंगे। उल्लेखनीय है कि जस्टिस शेखर यादव ने विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में विवादास्पद बयान दिया था, लेकिन उनके खिलाफ लाए गए प्रस्ताव को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने रोक दिया था। अब कांग्रेस ने इन दोनों मुद्दों को छोड़कर महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। विपक्ष के 215 सांसदों के समर्थन से यह प्रस्ताव दोनों सदनों में पेश किया गया है.
समाजवादी पार्टी का रुख
बड़ी विपक्षी पार्टियों में समाजवादी पार्टी ने अपने रुख पर कायम रहते हुए महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया है। पार्टी के सांसद जावेद अली ने स्पष्ट किया है कि जब तक जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी जाती, तब तक सपा जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगी। यदि जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव पर मतदान की स्थिति बनती है, तो सपा उसमें भाग नहीं लेगी। अब सवाल यह है कि कांग्रेस ने अपना रुख क्यों बदला? जानकार सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस को यह आभास हुआ है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के बारे में जनता की राय बन चुकी है और लोग उनके घर से मिले पांच-पांच सौ रुपए के नोटों के बंडल को सही मान रहे हैं। ऐसे में यदि कांग्रेस तकनीकी आधार पर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग का विरोध करती है, तो यह धारणा बनेगी कि कांग्रेस भ्रष्टाचार का समर्थन कर रही है। इसलिए, कांग्रेस ने महाभियोग का समर्थन करने का निर्णय लिया।