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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मोदी सरकार की अरावली परिभाषा की आलोचना की

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मोदी सरकार द्वारा अरावली की नई परिभाषा की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे विशेषज्ञों की राय के खिलाफ और पर्यावरण के लिए खतरनाक बताया। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, अरावली पहाड़ियों का अधिकांश हिस्सा अब संरक्षित नहीं रहेगा, जिससे खनन और अन्य गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। यह मोदी सरकार के पर्यावरणीय संतुलन पर हमले का एक और उदाहरण है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मोदी सरकार की अरावली परिभाषा की आलोचना की

अरावली की नई परिभाषा पर जयराम रमेश की प्रतिक्रिया

नई दिल्ली। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने मोदी सरकार द्वारा अरावली की नई परिभाषा को विशेषज्ञों की राय के खिलाफ और खतरनाक बताया है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) के आंकड़ों के अनुसार, अरावली पहाड़ियों में से केवल 8.7 प्रतिशत 100 मीटर से अधिक ऊँचाई पर हैं। इसके अलावा, FSI द्वारा चिन्हित सभी पहाड़ियों में से एक प्रतिशत भी 100 मीटर से अधिक ऊँचाई वाली नहीं है। FSI का स्पष्ट मत है कि ऊँचाई के आधार पर सीमाएं निर्धारित करना संदिग्ध है। अरावली पर्वतमाला को ऊँचाई की परवाह किए बिना संरक्षण मिलना चाहिए।

इसका क्षेत्रफल के हिसाब से अर्थ यह है कि नई परिभाषा के तहत अरावली का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा संरक्षित नहीं रहेगा, जिससे खनन, रियल एस्टेट और अन्य गतिविधियों के लिए इसे खोला जा सकता है। यह पहले से ही क्षतिग्रस्त पारिस्थितिकी तंत्र को और नुकसान पहुंचाएगा। यह मोदी सरकार के पर्यावरणीय संतुलन पर हमले का एक और उदाहरण है, जिसमें प्रदूषण मानकों को ढीला करना और पर्यावरण कानूनों को कमजोर करना शामिल है। प्रधानमंत्री के वैश्विक मंचों पर दिए गए भाषणों और देश के भीतर किए जा रहे कार्यों में कोई तालमेल नहीं दिखाई देता।