कार्तिक मास में खान-पान के नियम: जानें क्या खाएं और क्या न खाएं

लक्ष्मी नारायण की कृपा प्राप्त करने के उपाय
Kartik Month Bhojan Niyam: कार्तिक मास की शुरुआत 7 अक्टूबर, मंगलवार से हो चुकी है। यह महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे पवित्र माना जाता है। शास्त्रों में इस महीने खान-पान के कई नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है और लक्ष्मी-नारायण की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं कि इस महीने में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
बैंगन से करें परहेज
कार्तिक मास में बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान पित्त दोष से संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं। बैंगन खाने से पित्त दोष में वृद्धि हो सकती है, इसलिए इसे खाने से बचना चाहिए। धार्मिक दृष्टि से भी इसे शुद्ध नहीं माना जाता है और इस महीने ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।
दही का सेवन न करें
इस महीने में दही का सेवन स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं माना जाता है। मान्यता है कि दही खाने से संतान के लिए नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, आप दही की जगह दूध का सेवन कर सकते हैं।
मछली का सेवन वर्जित
कार्तिक मास में तामसिक भोजन, विशेषकर मछली का सेवन, वर्जित है। कहा जाता है कि इस महीने भगवान विष्णु जल में अपने मत्स्य अवतार में होते हैं, इसलिए मछली खाना शुभ नहीं माना जाता। इसके अलावा, बारिश के कारण जल प्रदूषित हो जाता है, जिससे इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
करेले का सेवन न करें
करेले का सेवन भी इस महीने में नहीं करना चाहिए। इसे वातकारक माना जाता है और इसमें कीड़े लगने की संभावना होती है। इसलिए, इस समय करेला खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
मूली का सेवन फायदेमंद
हालांकि कुछ चीजों का सेवन इस महीने में वर्जित है, लेकिन मूली खाना लाभदायक माना जाता है। यह कफदोष और पित्तदोष जैसी समस्याओं से राहत दिला सकती है।
आंवला का सेवन करें
कार्तिक मास में आंवला नवमी मनाई जाती है, जिसमें आंवले के वृक्ष और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। आंवला खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है और इससे व्यक्ति की सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कार्तिक मास में करें ये काम
इस महीने में खान-पान के नियमों का पालन करने के साथ-साथ भगवान विष्णु को नियमित रूप से तिल अर्पित करना चाहिए। तिल का सेवन भी लाभकारी माना जाता है, जिससे विष्णुजी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।