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किश्तवाड़ में बादल फटने से आई बाढ़: राहत कार्य जारी

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिशोती गांव में बादल फटने से आई बाढ़ ने व्यापक तबाही मचाई है। इस घटना में 65 लोगों की जान जा चुकी है और 70 से अधिक लोग लापता हैं। राहत कार्य जारी है, जिसमें सेना और एनडीआरएफ शामिल हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे। खोज अभियान में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। जानें इस विनाशकारी घटना के बारे में और अधिक जानकारी।
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किश्तवाड़ में बादल फटने से आई बाढ़: राहत कार्य जारी

किश्तवाड़ में बाढ़ का कहर

Kishtwar Cloudburst: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चिशोती गांव में बादल फटने के कारण आई बाढ़ ने क्षेत्र में व्यापक तबाही मचाई है। इस विनाशकारी घटना के नौ दिन बाद भी राहत और बचाव कार्य जारी हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे, जहां वे प्रभावित परिवारों से मिलकर राहत कार्यों की प्रगति की समीक्षा करेंगे।


बाढ़ से हुई जनहानि

14 अगस्त को घटित इस घटना में अब तक 65 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 70 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन के जवान लगातार बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। राजनाथ सिंह का यह दौरा पीड़ित परिवारों को समर्थन देने और राहत कार्यों को और प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।


लापता लोगों की खोज जारी

अब भी जारी है लापता लोगों की तलाश

चिशोती गांव में बादल फटने के बाद बाढ़ ने घरों, खेतों और लोगों को बहा दिया। कई परिवार अपने लापता सदस्यों की तलाश में हैं। अधिकारियों ने खोज अभियान को चिनाब नदी के निचले हिस्सों तक बढ़ा दिया है, ताकि लापता लोगों के शवों को खोजा जा सके।


आधुनिक तकनीक का उपयोग

आधुनिक तकनीक से चल रहा बचाव अभियान

रिपोर्टों के अनुसार, तलाशी अभियान में ड्रोन, खोजी कुत्तों और अन्य तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। प्रारंभिक दिनों में राहत दल का ध्यान बाढ़ स्थल और लंगर क्षेत्र पर था, लेकिन अब खोज क्षेत्र को नदी किनारों और आसपास के क्षेत्रों तक बढ़ा दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि जब तक सभी शव बरामद नहीं हो जाते, तब तक अभियान जारी रहेगा।


तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि

25 जुलाई से शुरू हुई और 5 सितंबर को समाप्त होने वाली वार्षिक मचैल माता यात्रा के लिए बड़ी संख्या में तीर्थयात्री एकत्रित हुए थे। पानी और मलबे के अचानक बढ़ने से संपत्ति को नुकसान हुआ, सड़क संपर्क टूट गया और कई लोग मलबे में फंस गए।