किसानों के लिए मौसम आधारित फसल सलाह: गेहूं, सरसों और आलू की देखभाल
कृषि अनुसंधान संस्थान की नई एडवाइजरी
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली ने वर्तमान मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए किसानों के लिए एक नई फसल सलाह जारी की है। इस सलाह में गेहूं, सरसों, आलू, प्याज और अन्य सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को सिंचाई, उर्वरक, और कीट प्रबंधन के बारे में समयबद्ध और स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। इसका उद्देश्य रबी सीजन में फसल के उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाना है।
गेहूं की फसल में पहली सिंचाई का महत्व
विशेषज्ञों का मानना है कि गेहूं की पहली सिंचाई फसल की नींव को मजबूत करती है। जिन खेतों में गेहूं की फसल 21 से 25 दिन पुरानी है, वहां अगले कुछ दिनों में मौसम शुष्क रहने की संभावना को देखते हुए सिंचाई करने की सलाह दी गई है।
उर्वरक प्रबंधन के लिए सही समय
पहली सिंचाई के 3 से 4 दिन बाद नाइट्रोजन आधारित उर्वरक की दूसरी खुराक देने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही, पानी की मात्रा को संतुलित रखना आवश्यक है ताकि जड़ों का विकास बेहतर हो सके। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि शुरुआती चरण में पानी की कमी से बालियों की संख्या और दानों का आकार प्रभावित हो सकता है।
अगेती और देर से बोई गई गेहूं के लिए अलग रणनीति
जिन किसानों ने 25 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच गेहूं बोया है, उन्हें सलाह दी गई है कि 30 से 35 दिन पर खरपतवार नियंत्रण करें और 21 से 25 दिन पर पहली सिंचाई अवश्य करें। वहीं, 5 नवंबर के बाद बोई गई फसल में भी समय पर पहली सिंचाई करने पर जोर दिया गया है, क्योंकि समय की चूक पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
गेहूं में रतुआ रोग से बचाव
इस मौसम में पीला और भूरा रतुआ गेहूं के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। यदि पत्तियों पर पीली या भूरे रंग की धारियां दिखाई दें, तो सतर्क रहना आवश्यक है। प्रारंभिक पीलापन हमेशा रतुआ नहीं होता, इसलिए इसकी पुष्टि करना जरूरी है। संदेह होने पर नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विभाग से संपर्क करें।
सरसों, प्याज और आलू की फसलों पर ध्यान
देर से बोई गई सरसों में विरलीकरण और खरपतवार नियंत्रण करना आवश्यक है। तापमान में गिरावट के कारण सफेद रतुआ रोग की निगरानी भी जरूरी है। प्याज की रोपाई से पहले खेत में अच्छी तरह सड़ी गोबर की खाद और पोटाश का प्रयोग करें। आलू की फसल में उर्वरक देने के साथ मिट्टी चढ़ाने का काम करें।
सब्जियों की खेती में कीट और रोग प्रबंधन
जिन किसानों की टमाटर, फूलगोभी, बंदगोभी और ब्रोकली की पौध तैयार है, वे मौसम के अनुसार रोपाई कर सकते हैं। गोभी वर्ग की सब्जियों में पत्ती खाने वाले कीटों पर नजर रखें और अधिक संख्या होने पर बीटी या स्पिनोसेड का छिड़काव करें।
बागवानी फसलों में सावधानी
इस मौसम में मिलीबग के बच्चे आम के तनों पर चढ़ सकते हैं। जमीन से लगभग 0.5 मीटर ऊंचाई पर अल्काथीन पट्टी बांधें और तने के आसपास मिट्टी की खुदाई कर अंडों को नष्ट करें। अधिक नमी के कारण गेंदे की फसल में पुष्प सड़न रोग की आशंका रहती है, इसलिए नियमित निरीक्षण जरूरी है।
किसानों के लिए सलाह का महत्व
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सही समय पर सिंचाई, उर्वरक और रोग प्रबंधन अपनाने से पैदावार में 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी संभव है। यह सलाह विशेष रूप से छोटे और मध्यम किसानों के लिए उपयोगी मानी जा रही है।
