कुलदीप सिंह सेंगर का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट में कुलदीप सिंह सेंगर का मामला
दुनिया भर में चर्चित एप्सटीन फाइल्स में कई प्रभावशाली और अमीर व्यक्तियों के नाम सामने आने की संभावना ने वैश्विक स्तर पर हलचल पैदा कर दी है। इसी संदर्भ में भारत में सुप्रीम कोर्ट परिसर में कुलदीप सिंह सेंगर के मामले पर की गई टिप्पणी ने सभी को चौंका दिया। हालांकि, यह स्पष्ट है कि सेंगर का अमेरिका या एप्सटीन से कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन नाबालिग के साथ बलात्कार के मामले में उसकी संलिप्तता ने उसे 'इंडियन एप्सटीन गैंग' जैसे शब्दों से जोड़ा है।
सेंगर का अमेरिका से कोई संबंध नहीं
सूत्रों के अनुसार, कुलदीप सिंह सेंगर ने अब तक अमेरिका की यात्रा नहीं की है। यदि वह अमेरिका नहीं गए हैं, तो जाहिर है कि उनका एप्सटीन से भी कोई संपर्क नहीं रहा होगा। यह भी स्पष्ट है कि एप्स्टीन की फाइल में उनकी कोई तस्वीर नहीं होगी। लेकिन, 2017 में उत्तर प्रदेश की सत्ता में रहते हुए, उन्होंने एक नाबालिग के साथ जो किया, वह इतना भयानक था कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी की। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सेंगर को 'इंडियन एप्सटीन गैंग' का सदस्य या सरगना बताया।
दिल्ली हाईकोर्ट का विवादास्पद फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को कुलदीप सिंह सेंगर को राहत देते हुए उसकी उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सेंगर ने सात साल से अधिक समय जेल में बिताया है और जिस पॉक्सो एक्ट के तहत उसे सजा दी गई थी, वह उस पर लागू नहीं होता। हाईकोर्ट के अनुसार, सेंगर उस समय पब्लिक सर्वेंट नहीं थे। इस फैसले ने जनता और कानूनी विशेषज्ञों को चौंका दिया, और सवाल उठने लगे कि नाबालिग से बलात्कार के दोषी को इतनी बड़ी राहत कैसे दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सीबीआई ने तर्क दिया कि 2017 में जब अपराध हुआ, तब कुलदीप सिंह सेंगर सत्ताधारी पार्टी का विधायक था और विधायक या सांसद को कानूनन पब्लिक सर्वेंट माना जाता है। इस आधार पर, पॉक्सो एक्ट की कड़ी धाराएं उस पर लागू होती हैं। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने सीबीआई की दलील को गंभीरता से लिया और कहा कि हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट की व्याख्या में गलती की है। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने सेंगर को दी गई जमानत पर रोक लगा दी।
पॉक्सो एक्ट के तहत सजा का प्रावधान
पॉक्सो एक्ट के तहत यदि कोई सामान्य व्यक्ति नाबालिग के साथ बलात्कार करता है, तो उसे कम से कम सात साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। लेकिन यदि वही अपराध कोई पब्लिक सर्वेंट करता है, जैसे विधायक, सांसद या अन्य सरकारी पद पर बैठा व्यक्ति, तो सजा और भी कठोर हो जाती है, जिसमें न्यूनतम 20 साल से लेकर उम्रकैद तक का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस कानून का उद्देश्य केवल सजा देना नहीं, बल्कि बच्चों को सत्ता और प्रभाव के दुरुपयोग से बचाना भी है।
सेंगर की जेल में रहने की स्थिति
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सेंगर फिलहाल जेल से बाहर नहीं आएगा। वह पहले से ही पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल की सजा काट रहा है। कोर्ट ने सेंगर को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, पीड़िता की मां और बहन ने अदालत का आभार व्यक्त किया, लेकिन साथ ही अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता भी जाहिर की। उनका कहना है कि न्याय की राह लंबी है, लेकिन यह फैसला उन्हें कुछ राहत जरूर देता है।
