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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मेडिकल शिक्षा के लिए ₹15,034 करोड़ की योजना को दी मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक महत्वपूर्ण योजना को मंजूरी दी है, जिसके तहत ₹15,034 करोड़ का फंड सरकारी मेडिकल कॉलेजों के उन्नयन के लिए आवंटित किया जाएगा। इस योजना से 5,000 नई PG सीटें जोड़ी जाएंगी, जिससे विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर किया जा सकेगा। यह कदम न केवल छात्रों के लिए नए अवसर खोलेगा, बल्कि देश के स्वास्थ्य ढांचे को भी मजबूत करेगा। जानें इस योजना के बारे में और कैसे यह भारत की चिकित्सा शिक्षा को प्रभावित करेगा।
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मेडिकल शिक्षा के लिए ₹15,034 करोड़ की योजना को दी मंजूरी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में ऐतिहासिक निर्णय

देश में स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक महत्वपूर्ण योजना को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत, सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों के उन्नयन और चिकित्सा शिक्षा की क्षमता बढ़ाने के लिए ₹15,034 करोड़ का बड़ा फंड आवंटित किया है। यह निर्णय न केवल डॉक्टर बनने की चाह रखने वाले हजारों छात्रों के लिए नए अवसर खोलेगा, बल्कि देश के स्वास्थ्य ढांचे को भी मजबूती प्रदान करेगा।


इस योजना के तहत, केंद्र सरकार की योजना (CSS) के तीसरे चरण के अंतर्गत मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों की क्षमता को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इस फंड का उपयोग निम्नलिखित तरीके से किया जाएगा: PG (स्पेशलिस्ट) सीटें: विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए 5,000 नई पोस्ट-ग्रेजुएट (PG) सीटें जोड़ी जाएंगी। इससे गंभीर बीमारियों के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।


यह योजना वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2028-29 तक लागू की जाएगी। कुल ₹15,034.50 करोड़ में से केंद्र सरकार का योगदान ₹10,303.20 करोड़ और राज्यों का योगदान ₹4,731.30 करोड़ होगा।


भारत में पिछले एक दशक में चिकित्सा शिक्षा में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। वर्तमान में देश में 808 मेडिकल कॉलेज हैं, जो विश्व में सबसे अधिक हैं, और इनकी कुल क्षमता 1,23,700 MBBS सीटों की है। पिछले 10 वर्षों में 69,352 MBBS और 43,041 PG सीटें जोड़ी गई हैं।


हालांकि, चिकित्सा सीटों की मांग और स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता के बीच एक बड़ा अंतर बना हुआ है। इस योजना का उद्देश्य इसी अंतर को पाटना है ताकि देश की वर्तमान और भविष्य की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके और स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत बनाया जा सके। यह योजना मौजूदा सरकारी बुनियादी ढांचे का उपयोग करके कम लागत पर तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि देश को गंभीर विषयों में विशेषज्ञों की एक स्थिर आपूर्ति मिलती रहे।