केंद्रीय मंत्री का विवादास्पद बयान: गरीबों को घर में बंद करने की सलाह
मंत्री का बयान और चुनावी माहौल
केंद्रीय मंत्री ललन सिंह का हालिया बयान चर्चा का विषय बन गया है, जिसमें उन्होंने चुनाव के दिन गरीबों को घर से बाहर न निकलने की सलाह दी। उनका कहना था कि वोट डालने के लिए उन्हें खुद ले जाना होगा और फिर वापस घर में बंद कर देना चाहिए।
इस बयान पर उनके समर्थकों ने खुशी मनाई, जबकि पुलिस और प्रशासन भी वहां मौजूद थे। यह स्थिति चुनाव आयोग के निर्देशों के विपरीत है, जो नागरिकों को मतदान के लिए बाहर निकलने की सलाह देते हैं।
मंत्री का यह बयान यह दर्शाता है कि अगर सरकारें गरीबों के लिए कुछ करतीं, तो उन्हें ऐसा नहीं कहना पड़ता। 11 साल से केंद्र में और 20 साल से राज्य में सत्ता में रहने के बावजूद, गरीबों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार 'जंगल राज' का जिक्र किया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या यह मंत्री का बयान वास्तव में जंगल राज का प्रतीक नहीं है?
एक पत्रकार ने ललन सिंह से पूछा कि उनकी पार्टी ने एक आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार को टिकट क्यों दिया, तो उन्होंने सवाल का जवाब देने के बजाय पत्रकार पर ही आरोप लगा दिया।
मंत्री का यह बयान वीडियो में कैद हो गया और चुनाव आयोग को इस पर कार्रवाई करनी पड़ी। चुनाव आयोग को निष्पक्षता साबित करने के लिए ललन सिंह के चुनाव प्रचार पर रोक लगानी चाहिए।
इस मामले में चुनाव आयोग को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, चाहे वह वीडियो सही हो या गलत। अगर यह सही है, तो कार्रवाई होनी चाहिए, और अगर गलत है, तो मंत्री को साइबर क्राइम में रिपोर्ट करनी चाहिए।
आम जनता को यह समझना चाहिए कि पिछले 11 वर्षों में सांप्रदायिकता का नशा उनके सोचने की क्षमता को प्रभावित कर चुका है।
मंत्री ने घुसपैठियों के मुद्दे पर भी बात की, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि यह विधानसभा चुनाव से कैसे संबंधित है। चुनाव आयोग ने बिहार में विशेष पुनरिक्षण किया, जिसमें केवल 390 घुसपैठियों का पता चला।
हालांकि, मीडिया इस पर कोई विशेष चर्चा नहीं कर रहा है। यह सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है कि वह सच्चाई को छिपा रही है।
जनता को यह समझना होगा कि जब तक वह हिंदू-मुसलमान के नशे से बाहर नहीं आएगी, तब तक उसे इसी तरह की बातें सुननी होंगी।
