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केदारनाथ और पशुपतिनाथ: महाभारत से जुड़ा अद्भुत संबंध

केदारनाथ और पशुपतिनाथ, भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थल, महाभारत काल से जुड़े हुए हैं। इन दोनों मंदिरों का गहरा धार्मिक संबंध है, जिसमें केदारनाथ की यात्रा के बाद पशुपतिनाथ के दर्शन अनिवार्य माने जाते हैं। जानें कैसे पांडवों ने शिव की शरण ली और इन स्थानों का महत्व क्या है। क्या आप जानते हैं कि ये दोनों मंदिर एक ही दिव्य सत्ता का प्रतीक हैं? इस लेख में जानें इनकी अद्भुत कहानी।
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केदारनाथ और पशुपतिनाथ: महाभारत से जुड़ा अद्भुत संबंध

केदारनाथ और पशुपतिनाथ का धार्मिक संबंध

केदारनाथ और पशुपतिनाथ का संबंध: हिंदू धर्म में केदारनाथ (उत्तराखंड) और पशुपतिनाथ (नेपाल, काठमांडू) भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थल माने जाते हैं। ये मंदिर अलग-अलग देशों में स्थित हैं, फिर भी इनका धार्मिक और पौराणिक संबंध अत्यंत गहरा है। मान्यता है कि केदारनाथ की यात्रा के बाद पशुपतिनाथ के दर्शन करना अनिवार्य है, अन्यथा यात्रा अधूरी मानी जाती है। क्या आप जानते हैं कि इन दोनों मंदिरों का संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ है? आइए, इसकी पूरी कहानी जानते हैं।


महाभारत की कथा


महाभारत युद्ध के पश्चात, पांडव अपने रिश्तेदारों की हत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने भगवान शिव की शरण ली, लेकिन शिव उनसे नाराज होकर दर्शन नहीं दे रहे थे। शिव ने बैल का रूप धारण कर गढ़वाल हिमालय की ओर प्रस्थान किया। पांडवों ने उनका पीछा किया और केदारनाथ पहुंचे। वहां भीम ने शिव को बैल के रूप में पहचान लिया और उनकी पूंछ पकड़ ली। जैसे ही शिव धरती में समाने लगे, उनका शरीर टुकड़ों में बंट गया।


शिव के अंगों का प्रकट होना


शिव का पिछला हिस्सा (कूबड़) केदारनाथ में प्रकट हुआ, जहां उनकी पूजा होती है। उनका मुख नेपाल के काठमांडू में पशुपतिनाथ के रूप में प्रकट हुआ। इसके अलावा, उनकी भुजाएं तुंगनाथ, नाभि मध्यमहेश्वर और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुईं। ये सभी स्थान पंचकेदार के नाम से जाने जाते हैं। पांडवों ने इन स्थानों पर मंदिर बनवाए और तपस्या कर अपने पापों से मुक्ति पाई। यही कारण है कि शिव भक्तों का मानना है कि केदारनाथ और पशुपतिनाथ के दर्शन एक साथ करने से यात्रा पूरी होती है।


क्या ये दोनों ज्योतिर्लिंग हैं?


हालांकि केदारनाथ और पशुपतिनाथ एक ही ज्योतिर्लिंग नहीं हैं, लेकिन दोनों भगवान शिव की एक ही दिव्य सत्ता का प्रतीक हैं। केदारनाथ में शिव की पीठ और पशुपतिनाथ में उनके सिर की पूजा होती है। इसलिए, इन दोनों मंदिरों की यात्रा को एक-दूसरे का पूरक माना जाता है, और भक्तों के लिए दोनों के दर्शन करना आवश्यक है।