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केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन का निधन: एक राजनीतिक यात्रा

वीएस अच्युतानंदन, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री, का निधन 21 जुलाई 2025 को 101 वर्ष की आयु में हुआ। उनके निधन से राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। अच्युतानंदन ने अपने जीवन में 10 चुनाव लड़े और 7 में जीत हासिल की। उन्होंने 5 साल जेल में बिताए और 1964 में CPI(M) की स्थापना की। 2006 में, 82 वर्ष की आयु में, वह केरल के मुख्यमंत्री बने। जानें उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और उनके योगदान के बारे में।
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केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन का निधन: एक राजनीतिक यात्रा

वीएस अच्युतानंदन: एक महान नेता का निधन

वीएस अच्युतानंदन कौन थे?: केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन का निधन 21 जुलाई 2025 को 101 वर्ष की आयु में हुआ। उनके निधन से राजनीतिक क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई है। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए केरल सचिवालय के दरबार हॉल में रखा गया है। तिरुवनंतपुरम में बार्टन हिल के पास लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए कतार में खड़े हैं। राजनीति और फिल्म जगत की कई प्रमुख हस्तियां उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए दरबार हॉल में पहुंच रही हैं। क्या आप जानते हैं कि अच्युतानंदन ने अपने जीवन में 10 चुनाव लड़े और उनमें से 7 में जीत हासिल की? इसके अलावा, उन्होंने 5 साल जेल में बिताए। आइए जानते हैं वीएस अच्युतानंदन के बारे में और उनकी राजनीतिक यात्रा के बारे में।


बचपन में माता-पिता का साया छिन गया

वीएस अच्युतानंदन का पूरा नाम वेलिक्ककाथु शंकरन अच्युतानंदन था। उनका जन्म 20 अक्टूबर 1923 को केरल के त्रावणकोर के अलप्पुझा में हुआ। उनके माता-पिता का नाम शंकरन और अक्कम्मा था। अच्युतानंदन ने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया; उनकी मां का निधन 4 साल की उम्र में हुआ और पिता का निधन 11 साल की उम्र में हुआ। उस समय वह 7वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे, जिसके बाद उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इसके बाद उन्होंने गांव में एक दर्जी की दुकान पर काम किया और फिर नारियल के रेशे की रस्सियां बनाने वाले कारखाने में काम किया।


राजनीतिक करियर की शुरुआत

वीएस अच्युतानंदन ने 1938 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने ट्रेड यूनियन गतिविधियों के माध्यम से राजनीति में कदम रखा और उसी वर्ष कांग्रेस में शामिल हुए। दो साल बाद, 1940 में, वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के सदस्य बने। अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में, उन्होंने 10 चुनाव लड़े और 7 में जीत हासिल की। इस दौरान, वह 5 साल 6 महीने तक जेल में भी रहे और लगभग साढ़े चार साल तक छिपे रहे।


केरल के सबसे वृद्ध मुख्यमंत्री

1964 में, उन्होंने CPI छोड़कर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) CPI(M) की स्थापना की। 2006 में, 82 वर्ष की आयु में, वह केरल के मुख्यमंत्री बने, और इस पद पर शपथ लेने वाले वह भारत के सबसे वृद्ध व्यक्ति थे। इसके अलावा, 2016 से 2021 तक, वह राज्य कैबिनेट रैंक और केरल में प्रशासनिक सुधारों के अध्यक्ष रहे। वह केरल विधानसभा में सबसे लंबे समय तक विपक्ष में बैठे नेता भी रहे हैं।