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केरल में आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन: 141 दिन का संघर्ष जारी

केरल में आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन अब 141 दिन तक जारी है, जिसमें उन्होंने अपने आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया है। ये कार्यकर्ता उचित वेतन, नियमितीकरण और सामाजिक सुरक्षा लाभों की मांग कर रहे हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही थी, लेकिन अब उन्हें कम वेतन और स्वैच्छिक सेवा के रूप में देखा जा रहा है। आने वाले दिनों में उनके विरोध प्रदर्शनों में वृद्धि हो सकती है, जिससे राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में गंभीर व्यवधान उत्पन्न हो सकता है।
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केरल में आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन: 141 दिन का संघर्ष जारी

आशा कार्यकर्ताओं का आंदोलन तेज

केरल में आशा (ASHA - Accredited Social Health Activist) कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन अब 141वें दिन में प्रवेश कर चुका है, और उन्होंने अपने आंदोलन को और अधिक सक्रिय करने का निर्णय लिया है। ये सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, जो ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा का आधार हैं, उचित वेतन, नियमितीकरण और सामाजिक सुरक्षा लाभों की मांग कर रही हैं।

कोविड-19 महामारी के दौरान, इन कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर सर्वेक्षण, जागरूकता फैलाने और मरीजों की सहायता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बावजूद, उन्हें अक्सर कम वेतन मिलता है और उनके कार्य को स्वैच्छिक सेवा के रूप में देखा जाता है, जबकि यह एक पूर्णकालिक और अत्यंत आवश्यक कार्य है।

केरल में उनका विरोध प्रदर्शन इस बात का प्रतीक है कि वे अपनी कार्य स्थितियों में सुधार और अधिकारों की मान्यता के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। आने वाले दिनों में, आशा कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शनों में वृद्धि हो सकती है, जिसमें अनिश्चितकालीन हड़ताल या बड़े पैमाने पर धरने शामिल हो सकते हैं।

इससे राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं, विशेषकर ग्रामीण और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में गंभीर व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। आशा कार्यकर्ताओं का यह आंदोलन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अब यह देखना होगा कि सरकार उनकी मांगों को कब और कैसे पूरा करती है, ताकि राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं बिना किसी बाधा के सुचारु रूप से चलती रहें और इन समर्पित कार्यकर्ताओं को उनका वाजिब हक मिल सके।