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केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा से बढ़ती चिंताएं: सातवीं मौत की पुष्टि

केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा के कारण अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। हाल ही में एक और व्यक्ति की मौत के साथ, इस साल इस बीमारी से मरने वालों की संख्या सात हो गई है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर जल स्रोतों की जांच तेज कर दी है। जानें इस खतरनाक अमीबा के बारे में और सरकार की सुरक्षा उपायों के बारे में।
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अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस का कहर

केरल में 'ब्रेन-ईटिंग अमीबा' के कारण होने वाली गंभीर बीमारी, जिसे अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस कहा जाता है, का प्रकोप जारी है। शनिवार को इस संक्रमण के चलते एक और व्यक्ति की जान चली गई, जिससे इस वर्ष राज्य में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या सात हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि मृतक की पहचान वायनाड जिले के बथेरी निवासी 45 वर्षीय रतीश के रूप में हुई है। वह पिछले एक सप्ताह से कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल (KMCH) में उपचाराधीन थे। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, उनकी स्थिति लगातार गंभीर बनी रही और शनिवार तड़के उनका निधन हो गया।


रतीश को पहले तेज बुखार और खांसी के बाद स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जब उनकी स्थिति बिगड़ गई, तो उन्हें KMCH में स्थानांतरित किया गया, जहां उनकी मृत्यु हुई।


इस वर्ष केरल में अब तक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के 42 पुष्ट मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से अधिकांश संक्रमण कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों से हैं। अकेले कोझिकोड में चार मौतें हुई हैं, जिनमें पिछले महीने एक तीन महीने का बच्चा और एक नौ साल की बच्ची भी शामिल हैं।


इस दुर्लभ लेकिन घातक मस्तिष्क संक्रमण के मामलों में वृद्धि के बाद, स्वास्थ्य अधिकारियों ने कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों में तालाबों, कुओं और अन्य जल स्रोतों के पानी का परीक्षण तेज कर दिया है।


अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस का कारण बनने वाला नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) एक अमीबा है जो गर्म ताजे पानी जैसे तालाबों, झीलों, कुओं, नदियों और कम क्लोरीन वाले स्विमिंग पूल में पनपता है, खासकर गर्मी और मानसून के महीनों में। यह नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और मस्तिष्क तक पहुंचकर उसे नुकसान पहुंचाता है, इसलिए इसे 'ब्रेन-ईटिंग अमीबा' कहा जाता है।


केरल सरकार ने राज्यभर में कुओं, पानी की टंकियों और सार्वजनिक जल निकायों को लक्षित करते हुए "जल ही जीवन है" नामक शुद्धिकरण अभियान शुरू किया है और लोगों से, विशेषकर मानसून के मौसम में, सुरक्षित पानी का उपयोग करने की अपील की है।