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कोलकाता में जावेद अख्तर का मुशायरा स्थगित, मुस्लिम संगठनों का विरोध

कोलकाता में जावेद अख्तर का चार दिवसीय मुशायरा स्थगित कर दिया गया है, जिसके पीछे मुस्लिम संगठनों का विरोध है। आयोजकों ने कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया, लेकिन कहा गया है कि 'कुछ मजबूरी' के चलते कार्यक्रम को टाला गया है। जावेद अख्तर ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उन्हें दोनों समुदायों से आलोचना मिलती है, जो उनके लिए सही रास्ते का संकेत है। इस निर्णय पर कई लेखकों ने निंदा की है, इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया गया है।
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कोलकाता में जावेद अख्तर का मुशायरा स्थगित, मुस्लिम संगठनों का विरोध

जावेद अख्तर का कार्यक्रम रद्द

कोलकाता में जावेद अख्तर का मुशायरा स्थगित: पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी ने प्रसिद्ध गीतकार और कवि जावेद अख्तर के चार दिवसीय मुशायरे को रद्द कर दिया है। यह कार्यक्रम 31 अगस्त से 3 सितंबर तक कोलकाता में आयोजित होने वाला था, जिसमें जावेद अख्तर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने वाले थे।


अकादमी ने इस निर्णय का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया, लेकिन सचिव नुजहत जैनब ने कहा कि 'कुछ मजबूरी' के चलते कार्यक्रम को टालना पड़ा है। नई तारीखों की घोषणा बाद में की जाएगी, लेकिन यह अभी स्पष्ट नहीं है कि जावेद अख्तर नए कार्यक्रम में शामिल होंगे या नहीं।


मुस्लिम संगठनों का विरोध


कई मुस्लिम संगठनों ने जावेद अख्तर के हालिया बयानों पर आपत्ति जताई है, जिन्हें उन्होंने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया। जमीयत-ए-उलेमा के महासचिव मुफ्ती अब्दुस सलाम कासमी ने कहा कि अकादमी को ऐसे अतिथि को आमंत्रित करना चाहिए था, जिसने धार्मिक भावनाओं को आहत न किया हो। वहीं, वहयाइन फाउंडेशन के मुफ्ती शमाइल नदवी ने जावेद अख्तर की रचनात्मक प्रतिभा की सराहना की, लेकिन उनके हालिया बयानों को समुदाय की भावनाओं के खिलाफ बताया। उन्होंने अल्पसंख्यक मामलों के विभाग से भविष्य में अतिथि चयन में सावधानी बरतने की अपील की।


जावेद अख्तर की प्रतिक्रिया


जावेद अख्तर, जो अपनी स्पष्ट राय और नास्तिकता के लिए जाने जाते हैं, ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों से आलोचना मिलती है, जो उनके लिए सही रास्ते का संकेत है। उन्होंने कोलकाता के प्रति अपने प्रेम को दोहराया और वहां जल्द आने की इच्छा जताई। इस स्थगन की कई लेखकों ने निंदा की है, इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया। लेखिका तसलीमा नसरीन ने सोशल मीडिया पर अकादमी की चुप्पी की आलोचना की और कहा कि कट्टरपंथी ताकतों के सामने झुकने से उनकी हिम्मत बढ़ती है।