कोलकाता लॉ कॉलेज में बलात्कार मामले के आरोपी की नियुक्ति पर उठे सवाल

मोनोजीत मिश्रा की नियुक्ति पर विवाद
कोलकाता लॉ कॉलेज में बलात्कार के मामले में मुख्य आरोपी मोनोजीत मिश्रा की नियुक्ति ने गंभीर विवाद खड़ा कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, मिश्रा को अस्थायी स्टाफ के रूप में उसी कॉलेज में रखा गया, जहां वह पूर्व छात्र रह चुका है। यह नियुक्ति शासी निकाय के नियमों का उल्लंघन करते हुए की गई थी।
मिश्रा के खिलाफ आपराधिक मामले
जानकारी के अनुसार, जब मिश्रा की नियुक्ति का प्रस्ताव शासी निकाय में रखा गया, तो केवल चार सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट दिया, जबकि अस्थायी नियुक्ति के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। अन्य चार सदस्यों ने मिश्रा के खिलाफ पहले से दर्ज गंभीर आपराधिक मामलों के कारण इसका विरोध किया, जिसमें मारपीट, धमकी और यौन उत्पीड़न शामिल हैं।
कॉलेज प्रशासन की कार्रवाई
हालांकि, एक प्रभावशाली सदस्य, जिसे मिश्रा 'चाचा' कहकर संबोधित करता था, के हस्तक्षेप के बाद उसे नियुक्ति मिल गई। बलात्कार विवाद के प्रकाश में कॉलेज प्रशासन ने उसकी संविदा समाप्त कर दी और उसे दिए गए वेतन की वापसी का निर्णय लिया है.
अन्य आरोपियों की निष्कासन
South Calcutta Law College’s Governing Body has finally terminated Monojit Mishra and expelled the two accused students, Pramit Mukherjee and Zaib Ahmed.
— Amit Malviya (@amitmalviya) July 1, 2025
But let’s not forget: This is the same Governing Body, led by TMC MLA Ashok Kumar Deb and Acting Principal Nayna Chatterji,… pic.twitter.com/g6vdHsnPQA
इस मामले में अन्य दो आरोपी छात्र, जैब अहमद और प्रमित मुखोपाध्याय, को भी कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया है। विपक्ष ने कॉलेज प्रशासन और शासी निकाय पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अपराधों के बावजूद मिश्रा को संरक्षण दिया।
भाजपा नेता का बयान
भाजपा नेता अमित मालवीय ने कॉलेज प्रशासन और तृणमूल विधायक अशोक देब पर आरोप लगाया है कि उन्होंने लंबे समय तक मिश्रा को बचाया। उन्होंने मांग की है कि सभी जिम्मेदार अधिकारियों पर आरोपी की मदद करने का मुकदमा दर्ज किया जाए और उन्हें तुरंत अपने पदों से इस्तीफा देना चाहिए। मालवीय ने इसे केवल लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित साजिश और मिलीभगत करार दिया।