कोलकाता हाईकोर्ट ने कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पनौली की गिरफ्तारी पर सख्त रुख अपनाया

कोलकाता हाईकोर्ट का निर्देश
कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पनौली: कोलकाता हाईकोर्ट ने शर्मिष्ठा पनौली की गिरफ्तारी के मामले में कड़ा रुख अपनाया है। न्यायमूर्ति पार्थ सारथी मुखर्जी की अवकाशकालीन पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दिया है कि वह 5 जून को केस डायरी अदालत में पेश करे। इसी दिन शर्मिष्ठा की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई होगी।
केस की जांच पर अदालत का आदेश
अदालत ने स्पष्ट किया है कि केवल गार्डनरीच थाने में दर्ज मामले की ही जांच की जाएगी। पनौली के खिलाफ अन्य सभी प्राथमिकी पर अगली सुनवाई तक स्थगन रहेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि इस मामले में कोई नई FIR दर्ज न की जाए।
सोशल मीडिया पर विवादित टिप्पणी
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान की गई टिप्पणी: शर्मिष्ठा पनौली पर आरोप है कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सोशल मीडिया पर ऐसी टिप्पणी की जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। उनके वकील का कहना है कि यह केवल भारत और पाकिस्तान के सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के बीच एक सामान्य बहस थी, जिसमें पनौली की कोई आपराधिक मंशा नहीं थी।
गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर सवाल
नोटिस के बिना गिरफ्तारी: वकील ने तर्क किया कि FIR में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि पनौली ने क्या कहा जो अपराध की श्रेणी में आता हो। शिकायत 15 मई को दर्ज की गई और केवल दो दिन बाद, 17 मई को पुलिस ने वारंट हासिल कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। वकील ने यह भी बताया कि परिवार ने शिकायत की थी कि पनौली को जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं और विवादास्पद पोस्ट 8 मई को हटा दी गई थी।
राज्य सरकार की दलील
आपत्तिजनक सामग्री: राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने कहा कि सोशल मीडिया पोस्ट में केवल आपत्तिजनक टेक्स्ट ही नहीं, बल्कि एक आपत्तिजनक वीडियो भी था। इस कारण पुलिस ने उचित कार्रवाई की। बनर्जी ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई इस मामले में उचित थी और उन्होंने नियमों के अनुसार कार्य किया। उनका तर्क था कि पोस्ट की सामग्री गंभीर थी, इसलिए गिरफ्तारी को चुनौती नहीं दी जा सकती।