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कौशल्या डैम का पानी: स्वास्थ्य के लिए खतरा

पिंजौर के कौशल्या डैम का पानी गंभीर प्रदूषण का शिकार हो रहा है, जिससे स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर खतरा उत्पन्न हो गया है। 2012 में बने इस डैम में गंदे नालों का पानी, गौशाला का दूषित जल और कूड़े का कचरा मिल रहा है। प्रशासन की लापरवाही के चलते यह समस्या बढ़ती जा रही है। जानें इस मुद्दे पर क्या कदम उठाए जा रहे हैं और स्थानीय नेता क्या मांग कर रहे हैं।
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कौशल्या डैम का पानी: स्वास्थ्य के लिए खतरा

कौशल्या डैम की स्थिति


चंडीगढ़ समाचार: पिंजौर के समीप स्थित कौशल्या डैम का निर्माण सरकार ने 2012 में लगभग 150 करोड़ रुपये की लागत से किया था। इसका उद्देश्य इस जल को ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से पीने योग्य बनाकर पंचकूला के विभिन्न हुडा सेक्टरों में आपूर्ति करना था। हालांकि, डैम में पिंजौर के गंदे नालों का पानी, गौशाला का दूषित जल और नगर परिषद द्वारा बनाए गए कूड़े के डंपिंग ग्राउंड का कचरा मिल रहा है, जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है। यदि इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो यह दूषित जल महामारी का कारण बन सकता है।
इस मुद्दे पर, शिवालिक विकास मंच के प्रदेश अध्यक्ष विजय बंसल एडवोकेट ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और अन्य संबंधित विभागों को ज्ञापन भेजा है। उन्होंने कौशल्या नदी में गिरने वाले गंदे नालों के पानी को रोकने और गौशाला के पास बने डंपिंग ग्राउंड को स्थानांतरित करने की मांग की है, ताकि नदी का जल साफ रखा जा सके और लोगों को स्वच्छ पेयजल मिल सके।
ज्ञापन में बंसल ने बताया कि पिछले कई वर्षों से पिंजौर के विभिन्न मोहल्लों का गंदा पानी सीधे कौशल्या डैम में जा रहा है। इसके अलावा, सीआरपीएफ कैंप का गंदा पानी भी नदी में गिर रहा है। प्रशासन की इस लापरवाही से स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रशासन को जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करना चाहिए और ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित कर जल को साफ करना चाहिए।
बंसल ने यह भी बताया कि सरकार ने कौशल्या डैम के निर्माण में 150 करोड़ रुपये और पाइपलाइन बिछाने में 30 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन इसके बावजूद लोगों को गंदे नालों का पानी मिल रहा है।
इस विषय पर कई बार समाचारों में भी जानकारी दी गई है, लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।