क्या 2029 में महिलाओं को मिलेगा 33% आरक्षण? जानें परिसीमन की पूरी कहानी

महिलाओं के लिए आरक्षण की नई योजना
केंद्र सरकार लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू करने की योजना बना रही है, जो 2029 के आम चुनावों से पहले प्रभावी हो सकती है। यह आरक्षण परिसीमन के बाद लागू होगा, जो जनगणना 2026 के बाद दो चरणों में 1 मार्च 2027 तक पूरा किया जाएगा। इस जनगणना में स्वतंत्रता के बाद पहली बार जातिगत आंकड़े भी शामिल किए जाएंगे, जो परिसीमन के लिए आधार प्रदान करेंगे। इस महत्वपूर्ण कदम का उद्देश्य महिलाओं को चुनावी राजनीति में समान प्रतिनिधित्व देना है, जिससे उनकी भागीदारी में वृद्धि हो सके।
आरक्षण और परिसीमन की प्रक्रिया
पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि महिला आरक्षण और परिसीमन प्रक्रिया 2034 के चुनावों तक लागू होगी, लेकिन अब सरकार ने इसे 2029 तक लागू करने की दिशा में तेजी से कदम उठाए हैं। सरकारी अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि यह आरक्षण 2029 तक लागू होने के लिए तैयार है और जनगणना के बाद परिसीमन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
परिसीमन और महिला आरक्षण का संबंध
संविधान के अनुसार आरक्षण
महिलाओं के लिए आरक्षण केवल परिसीमन के बाद ही लागू किया जा सकता है, क्योंकि संविधान में इसे इस तरह से निर्धारित किया गया है। 2023 में संसद द्वारा पारित नारी शक्ति वंदन अधिनियम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रावधान किया गया है। यह आरक्षण जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी हो सकेगा। सरकार का मानना है कि 2029 तक महिला आरक्षण लागू किया जा सकता है, क्योंकि जनगणना की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है और इसे तीन साल में पूरा किया जाएगा। इसके बाद परिसीमन की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो जाएगी.
दक्षिणी राज्यों की चिंताएँ
संसदीय सीटों का निर्धारण
परिसीमन प्रक्रिया के तहत दक्षिणी राज्यों की चिंताओं को भी ध्यान में रखा जाएगा। इन राज्यों का कहना है कि जनसंख्या के आधार पर संसदीय सीटों का निर्धारण उनके साथ अन्याय करेगा, क्योंकि उन्होंने 1970-80 के दशक में जनसंख्या नियंत्रण पर ज्यादा ध्यान दिया था। गृहमंत्री अमित शाह ने आश्वासन दिया है कि परिसीमन के चलते दक्षिण भारत की कोई भी सीट नहीं छीनी जाएगी। उन्होंने फरवरी में कोयंबटूर में कहा था कि परिसीमन के चलते दक्षिण भारत की कोई भी सीट नहीं छीनी जाएगी।
तमिलनाडु का विरोध
मुख्यमंत्री का बयान
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार की योजना पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यदि जनगणना 2027 तक टाली जाती है और फिर परिसीमन किया जाता है, तो इससे तमिलनाडु की संसदीय भागीदारी में कमी आ सकती है। स्टालिन ने मांग की कि 1971 की जनगणना के आधार पर परिसीमन ढांचा कम से कम 30 सालों तक लागू रहना चाहिए।
परिसीमन के बाद संभावित परिणाम
लोकसभा सीटों की संख्या में बदलाव
2019 में किए गए कार्नेगी एंडॉवमेंट के अध्ययन के अनुसार, यदि 2026 की अनुमानित जनसंख्या को आधार माना जाए, तो लोकसभा की सीटों की संख्या बढ़कर 848 तक पहुंच सकती है। इसमें अकेले उत्तर प्रदेश की सीटें 80 से बढ़कर 143 हो सकती हैं। वहीं, तमिलनाडु की सीटें 39 से बढ़कर 49 हो सकती हैं, जबकि केरल की सीटों की संख्या 20 पर स्थिर रहेगी। इससे दक्षिण भारत का प्रतिनिधित्व घट सकता है, जिससे इन राज्यों में असंतोष हो सकता है.