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क्या अमेरिका के नए टैरिफ से चीन और भारत के ऊर्जा व्यापार पर पड़ेगा असर?

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने चेतावनी दी है कि चीन पर रूसी तेल को अलग-थलग करने के लिए टैरिफ लगाने से वैश्विक ऊर्जा बाजार प्रभावित हो सकता है। यूरोपीय देशों ने इस पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है, जबकि भारत पर अमेरिकी दबाव बढ़ रहा है। ट्रंप प्रशासन ने भारत के खिलाफ टैरिफ बढ़ाए हैं, जिससे डबल स्टैंडर्ड का आरोप भी लगा है। अलास्का में ट्रंप और पुतिन की बैठक के बाद, भारत ने अपने ऊर्जा व्यापार को जारी रखने का निर्णय लिया है। क्या ये घटनाक्रम वैश्विक ऊर्जा बाजार में उथल-पुथल लाएंगे? जानें पूरी कहानी में।
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क्या अमेरिका के नए टैरिफ से चीन और भारत के ऊर्जा व्यापार पर पड़ेगा असर?

अमेरिकी विदेश मंत्री का बयान

US sanctions: अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा है कि यदि चीन पर रूसी तेल को अलग-थलग करने के लिए अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाते हैं, तो इसका सीधा प्रभाव वैश्विक ऊर्जा बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर चीन पर प्रतिबंध लगाए गए, तो वह तेल को ऊंचे दामों पर वैश्विक बाजार में वापस भेजेगा, जिससे ऊर्जा की कीमतें बढ़ेंगी और कई देशों को वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करनी पड़ेगी।


यूरोप की चिंताएं

यूरोप की नाराजगी

रुबियो ने बताया कि यूरोपीय देशों ने पहले ही इस तरह के प्रस्तावों पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। जब अमेरिकी सीनेट में चीन और भारत पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की चर्चा हुई, तब यूरोप से तीखी प्रतिक्रियाएं आईं। यूरोपीय देशों को डर है कि इससे ऊर्जा आपूर्ति में बाधा आएगी और उनकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।


भारत पर अमेरिकी दबाव

भारत पर अमेरिकी दबाव

रुबियो ने भारत के साथ ऊर्जा व्यापार को वाशिंगटन के लिए एक लंबे समय से चुनौतीपूर्ण मुद्दा बताया। उनका कहना है कि भारत द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भारत की ऊर्जा आवश्यकताएं बहुत बड़ी हैं और वह अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए तेल, गैस और कोयला खरीदने के लिए मजबूर है। रूस से आयात भारत के लिए एक सस्ता सौदा है, क्योंकि मॉस्को प्रतिबंधों के कारण तेल को वैश्विक कीमत से कम पर बेच रहा है।


ट्रंप प्रशासन का रुख

ट्रंप प्रशासन का आक्रामक रुख

जहां अमेरिका ने चीन के खिलाफ कठोर कदम उठाने से बचा है, वहीं ट्रंप प्रशासन भारत पर लगातार दबाव बना रहा है। पहले भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया था, जिसे हाल ही में बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया। व्हाइट हाउस ने चेतावनी दी है कि यदि नई दिल्ली ने रूसी तेल का आयात जारी रखा, तो और भी प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।


डबल स्टैंडर्ड का आरोप

दोहरे मानदंडों का आरोप

इस निर्णय ने अमेरिका पर डबल स्टैंडर्ड अपनाने के आरोप लगाए हैं। आलोचकों का कहना है कि चीन बिना किसी दंड के रूसी तेल का बड़ा आयात कर रहा है, जबकि भारत को दंडित किया जा रहा है। भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए वाशिंगटन पर पाखंड का आरोप लगाया है और स्पष्ट किया है कि उसकी रूसी तेल खरीद जारी रहेगी।


अलास्का शिखर सम्मेलन

अलास्का शिखर सम्मेलन

प्रतिबंधों पर यह बहस ऐसे समय में तेज़ हुई है जब अलास्का में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हाई-प्रोफाइल बैठक हुई। हालांकि इस बैठक में यूक्रेन युद्धविराम पर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई, लेकिन ट्रंप ने बातचीत को “10/10” बताते हुए संतोष व्यक्त किया। बाद में उन्होंने संकेत दिया कि वे फिलहाल द्वितीयक प्रतिबंधों पर विचार नहीं करेंगे, क्योंकि इसका प्रभाव चीन और वैश्विक बाजार पर गंभीर हो सकता है।


भारत को लेकर ट्रंप का दावा

भारत को लेकर ट्रंप का दावा

अलास्का बैठक से पहले ट्रंप ने कहा था कि भारत पर लगाए गए उनके टैरिफ ने रूस को अमेरिका से सीधे संपर्क करने के लिए मजबूर किया है, क्योंकि उसे दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक खोने का डर है। हालांकि, भारत ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि उसका ऊर्जा व्यापार सामान्य रूप से जारी है।