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क्या अमेरिका ने चीन को चिप्स बेचने के लिए अपनी सुरक्षा को दांव पर लगाया?

अमेरिकी टेक कंपनियों Nvidia और AMD ने चीन को चिप्स बेचने के लिए एक नया समझौता किया है, जिसके तहत वे अपनी बिक्री से 15% आय अमेरिकी सरकार को देंगे। यह कदम अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी और सुरक्षा संबंधों में तनाव के बीच उठाया गया है। विशेषज्ञों ने इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं, यह कहते हुए कि क्या अमेरिका अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को राजस्व के लिए दांव पर लगा रहा है। जानें इस समझौते के पीछे की रणनीति और इसके संभावित प्रभाव।
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क्या अमेरिका ने चीन को चिप्स बेचने के लिए अपनी सुरक्षा को दांव पर लगाया?

अमेरिकी कंपनियों का चीन के साथ नया समझौता

US-China Trade: अमेरिकी टेक कंपनियों AMD और Nvidia ने एक महत्वपूर्ण समझौता किया है, जिसके तहत वे चीन को बेची गई कंप्यूटर चिप्स से होने वाली 15% आय अमेरिकी सरकार को देंगे। यह जानकारी एक अमेरिकी अधिकारी ने मीडिया को दी है। ये चिप्स विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीकों में उपयोग होती हैं, जिसमें Nvidia की H20 चिप भी शामिल है।


ट्रंप प्रशासन का प्रतिबंध

ट्रंप प्रशासन ने अप्रैल में लगाया था प्रतिबंध
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अप्रैल 2025 में Nvidia को चीन को H20 चिप बेचने से रोक दिया था। हालाँकि, पिछले महीने Nvidia ने बताया कि अमेरिकी सरकार ने उन्हें फिर से चीन को बिक्री करने की अनुमति दे दी है। कंपनी को उम्मीद है कि वे जल्द ही इन चिप्स की डिलीवरी शुरू कर सकेंगे।


Nvidia का नियमों का पालन

नियमों के अनुसार ही काम कर रही Nvidia
Nvidia ने 15% राजस्व साझा करने पर सहमति जताई है, लेकिन कंपनी ने सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वे अमेरिकी सरकार द्वारा निर्धारित सभी नियमों का पालन करते हैं। कंपनी ने यह भी बताया कि उन्होंने कुछ महीनों से चीन को H20 चिप्स की आपूर्ति नहीं की है, लेकिन वे उम्मीद करते हैं कि एक्सपोर्ट नियंत्रण नियम अमेरिका को चीन और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देंगे।


AMD और चीन की चुप्पी

AMD की प्रतिक्रिया नहीं आई, चीन भी चुप
AMD ने इस रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की है, और चीन के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, यह जानकारी मिली है कि दोनों कंपनियों को अमेरिका से निर्यात लाइसेंस प्राप्त करने के लिए यह समझौता करना पड़ा है, जिसमें AMD की MI308 चिप्स भी शामिल हैं।


चीन का महत्व

चीन, दोनों कंपनियों के लिए अहम बाजार
चीन, Nvidia और AMD दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है। Nvidia ने जनवरी 2025 तक के वित्तीय वर्ष में चीन से $17 अरब की कमाई की, जो उसकी कुल बिक्री का 13% है। वहीं, AMD ने 2024 में चीन से $6.2 अरब की आय अर्जित की, जो कि उसकी कुल आमदनी का 24% है।


राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल

राजस्व के बदले सुरक्षा को त्याग रहा US
इस निर्णय पर कुछ विशेषज्ञों और पूर्व अधिकारियों ने सवाल उठाए हैं। ज्यॉफ गर्ट्ज, जो वॉशिंगटन डीसी स्थित थिंक टैंक “Center for New American Security” से जुड़े हैं, ने कहा, "या तो H20 चिप्स को चीन को बेचना राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा है, और अगर ऐसा है, तो हमें यह नहीं करना चाहिए। अगर खतरा नहीं है, तो फिर इस पर 15% टैक्स क्यों लगाया गया है?" पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन में काम कर चुके अलास्डेयर फिलिप्स-रॉबिन्स ने भी इस नीति की आलोचना की। उन्होंने कहा, "अगर यह रिपोर्ट सही है, तो इसका मतलब है कि अमेरिका अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की नीतियों को सिर्फ राजस्व के बदले त्याग रहा है।"


अमेरिकी वाणिज्य सचिव का बयान

कॉमर्स सचिव का बयान, यह सौदा रणनीति का हिस्सा
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने एक इंटरव्यू में कहा कि AI चिप्स की बिक्री को फिर से शुरू करना अमेरिका और चीन के बीच एक रणनीतिक बातचीत का हिस्सा है, जिसमें अमेरिका रेयर अर्थ मेटल्स (दुर्लभ खनिजों) तक पहुंच सुनिश्चित करना चाहता है। उन्होंने यह भी कहा कि Nvidia की H20 चिप कंपनी की “चौथी सर्वश्रेष्ठ” चिप है, और अमेरिका चाहता है कि चीन पूरी तरह अमेरिकी टेक्नोलॉजी स्टैक पर ही निर्भर बना रहे, भले ही सबसे उन्नत तकनीकें उन्हें न दी जाएं।


समझौते का कार्यान्वयन

अभी तय नहीं, कब लागू होगा समझौता
एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि यह समझौता कब और कैसे लागू होगा, इसकी पूरी जानकारी अभी तय नहीं हुई है। लेकिन प्रशासन का मानना है कि यह कदम कानूनी दायरे में लिया गया है और यह अमेरिकी हितों के अनुकूल है।


अर्थव्यवस्था और सुरक्षा का टकराव

अमेरिका और चीन के बीच तकनीक और सुरक्षा को लेकर तनाव जारी है, लेकिन आर्थिक लाभ और रणनीतिक समीकरणों के चलते Nvidia और AMD जैसी कंपनियों को चीन में काम करने की सीमित छूट मिल रही है। इस समझौते से अमेरिका को बड़ा राजस्व लाभ मिलेगा, लेकिन इसके बदले राष्ट्रीय सुरक्षा और नीति स्थिरता पर बहस भी तेज हो गई है।