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क्या अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने इतिहास को भूल रहा है? जयशंकर की तीखी टिप्पणी

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका और पाकिस्तान के बीच हालिया संबंधों पर टिप्पणी की है, जिसमें उन्होंने अमेरिका को उसके ऐतिहासिक तथ्यों की याद दिलाई। उन्होंने ट्रंप के मध्यस्थता के दावे को खारिज करते हुए कहा कि भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर कार्य किया है। जयशंकर ने यह भी बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को युद्धविराम के लिए मजबूर होना पड़ा था। इस लेख में जानें जयशंकर की अन्य महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ और अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों का इतिहास।
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क्या अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने इतिहास को भूल रहा है? जयशंकर की तीखी टिप्पणी

अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों पर जयशंकर की टिप्पणी

US Pakistan relations: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका और पाकिस्तान के बीच हालिया नजदीकियों पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि वाशिंगटन अपने ऐतिहासिक तथ्यों को भुला रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि दुनिया के सबसे कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में पकड़ा गया था, जहां वह सैन्य प्रतिष्ठानों के बीच सुरक्षित था। जयशंकर ने कहा कि अमेरिका को यह नहीं भूलना चाहिए कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान का रिकॉर्ड हमेशा विवादास्पद रहा है।


ट्रंप के मध्यस्थता के दावे को खारिज किया

ट्रंप के मध्यस्थता दावे को नकारा

जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान को भी खारिज किया जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में मध्यस्थता की थी। विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच बातचीत से हुआ था, न कि किसी तीसरे पक्ष की पहल से। उन्होंने बताया कि उस समय कई देशों से फोन कॉल्स आए, जिनमें अमेरिका भी शामिल था, लेकिन यह सामान्य कूटनीतिक प्रक्रिया थी और इसे मध्यस्थता नहीं माना जा सकता। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन और इज़राइल-ईरान संघर्ष के दौरान भी भारत ने संबंधित देशों से बातचीत की थी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भारत मध्यस्थता कर रहा था।


अमेरिका-पाकिस्तान की पुरानी साझेदारी

अमेरिका-पाकिस्तान की पुरानी साझेदारी

जयशंकर ने कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच का रिश्ता नया नहीं है। दोनों देशों का एक लंबा इतिहास है, लेकिन उस इतिहास को नजरअंदाज करने की प्रवृत्ति भी रही है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि जब भी अमेरिका पाकिस्तान की सेना की प्रशंसा करता है, तो यह वही सेना होती है जिसने ओसामा बिन लादेन को अपने देश में छिपा रखा था। उन्होंने इसे सुविधा की राजनीति करार देते हुए कहा कि कई बार देश सामरिक कारणों या लाभ के चलते अपने पुराने अनुभवों को नजरअंदाज कर देते हैं।


भारत के राष्ट्रीय हितों पर जोर

राष्ट्रीय हितों पर काम करता है भारत

जयशंकर ने इस अवसर पर यह भी स्पष्ट किया कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर कार्य करता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की पाकिस्तान नीति जैसी चुनौतियों को भारत समझदारी और आत्मविश्वास के साथ देखता है। भारत जानता है कि उसके संबंधों का महत्व क्या है और उसकी ताकतें क्या हैं। यही दृष्टिकोण उसे किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम बनाता है।


ऑपरेशन सिंदूर की सफलता

ऑपरेशन सिंदूर

विदेश मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को युद्धविराम के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि भारत ने उसके सैन्य ठिकानों को सटीक निशाना बनाया था। यह भारत की कूटनीति और सैन्य क्षमता दोनों की जीत थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका या किसी अन्य देश की दखलंदाजी से संघर्ष का अंत नहीं हुआ।