क्या अमेरिका लगाएगा भारत और चीन पर भारी टैरिफ? लिंडसे ग्राहम की चेतावनी

अमेरिकी सीनेटर की चेतावनी
हाल ही में, अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने चेतावनी दी है कि यदि रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा, तो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत, चीन और अन्य देशों पर भारी टैरिफ लगाने का निर्णय ले सकते हैं। ग्राहम ने बताया कि ट्रंप प्रशासन रूस के व्यापारिक साझेदारों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है, जिससे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के युद्ध प्रयासों को और मजबूती मिलेगी।
रूस से व्यापार करने वाले देशों पर दबाव
ग्राहम ने एक विधेयक पेश किया है जिसमें भारत, चीन और अन्य देशों पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगाने का प्रस्ताव है, जो रूस के साथ व्यापार जारी रखते हैं। फॉक्स न्यूज के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "यदि आप रूस से तेल खरीदते रहेंगे, तो हम आपकी अर्थव्यवस्था को तबाह कर देंगे।" उन्होंने आरोप लगाया कि इन देशों—भारत, चीन और ब्राजील—की रूस से कच्चे तेल की खरीदारी पुतिन के युद्ध अभियानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
पूर्व सोवियत संघ की पुनर्निर्माण की कोशिश
ग्राहम ने पुतिन पर आरोप लगाया कि वह उन देशों को फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहते हैं जो पहले उनके थे। उन्होंने 90 के दशक का उदाहरण देते हुए कहा कि यूक्रेन ने रूस के साथ संप्रभुता का समझौता करते हुए 1,700 परमाणु हथियार त्यागे थे, लेकिन पुतिन ने अपनी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करते हुए यूक्रेन पर आक्रमण किया।
नाटो की बढ़ती हताशा
यह बयान ट्रंप प्रशासन की बढ़ती हताशा को दर्शाता है, क्योंकि युद्ध को समाप्त करने के लिए ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन ही प्रयास शुरू किया था। लेकिन अब तक युद्ध और भी बदतर हो चुका है, रूस ने यूक्रेनी शहरों पर ड्रोन और मिसाइल हमले तेज कर दिए हैं। ट्रंप ने पिछले हफ्ते रूस पर दबाव बनाने के लिए नए हथियारों की घोषणा की और 50 दिनों में शांति समझौते का वादा न करने पर रूस के तेल खरीदारों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी।
भारत की प्रतिक्रिया
नाटो महासचिव मार्क रूट ने भी ब्राजील, चीन और भारत को चेतावनी दी है कि यदि वे रूस से व्यापार जारी रखते हैं, तो उन पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाए जाएंगे। रूट ने इन देशों को पुतिन से शांति वार्ता की गंभीरता पर जोर देने की सलाह दी।
भारत ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वे रूस के साथ व्यापार पर किसी प्रकार के प्रतिबंधों के खिलाफ हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा, "हम इस मामले में दोहरे मानदंडों के प्रति जागरूक हैं। हमारी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।" भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह वैश्विक परिस्थितियों के अनुरूप अपने फैसले करेगा, और किसी भी प्रकार के दोहरे मानदंडों से बचने का प्रयास करेगा.