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क्या ईरान भी अब्राहम समझौते का हिस्सा बनेगा? ट्रंप का बयान चर्चा में

व्हाइट हाउस में ट्रंप ने ईरान के अब्राहम समझौते में शामिल होने की संभावना जताई, जिससे क्षेत्रीय राजनीति में हलचल मच गई है। इस समझौते के तहत इजरायल और अरब देशों के बीच संबंध सामान्य हुए हैं, लेकिन फिलिस्तीनी नेताओं ने इसे धोखा करार दिया है। जानें इस समझौते के आर्थिक लाभ और भविष्य की चुनौतियों के बारे में।
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क्या ईरान भी अब्राहम समझौते का हिस्सा बनेगा? ट्रंप का बयान चर्चा में

अंतरराष्ट्रीय समाचार

अंतरराष्ट्रीय समाचार:  व्हाइट हाउस में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि ईरान भी अब्राहम समझौते में शामिल हो सकता है। इस अवसर पर इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू भी उपस्थित थे। ट्रंप ने यह भी कहा कि स्थिति में बदलाव आ रहा है और यह एक नई शांति की उम्मीद है। उनका यह बयान क्षेत्र में हलचल पैदा कर सकता है। अब्राहम समझौते, जो 2020 में हुए थे, ट्रंप के पहले कार्यकाल की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है। इसके तहत इजरायल और कई अरब देशों के बीच संबंध सामान्य हुए। यूएई और बहरीन पहले शामिल हुए, इसके बाद मोरक्को और सूडान ने भी इसमें भाग लिया। यह 25 वर्षों में एक बड़ा कदम था और इसे ऐतिहासिक माना गया।


आर्थिक लाभ के साथ संबंध

आर्थिक लाभ के साथ संबंध

इजरायल और यूएई के बीच का समझौता सबसे महत्वपूर्ण साबित हुआ। इस तेल और व्यापार के केंद्र ने इजरायल के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिसमें रक्षा तकनीक और मुक्त व्यापार समझौते शामिल हैं। दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग में वृद्धि हुई, जिससे व्यापार और निवेश में तेजी आई। इसे एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा गया।


फिलिस्तीनियों की प्रतिक्रिया

फिलिस्तीनियों की तीखी नाराजगी

फिलिस्तीनी नेताओं ने इस समझौते का विरोध किया है, इसे धोखा करार दिया है। उनका कहना है कि अरब देशों ने फिलिस्तीन की राज्य की मांग को नजरअंदाज किया है, जिससे उनका विश्वास टूट गया है। इजरायल ने बस्तियों का विस्तार जारी रखा है, जिसे शांति प्रक्रिया के लिए एक बड़ा झटका माना गया।


चुनौतियाँ और विवाद

चुनौतियाँ और विवाद

यूएई ने इजरायल को चेतावनी दी थी कि वेस्ट बैंक में कब्जा बढ़ाना एक 'रेड लाइन' है। इजरायली मंत्रियों के बयानों ने तनाव को और बढ़ा दिया है। इससे समझौते की आत्मा कमजोर होती दिख रही है। अरब देशों ने कहा है कि यदि ऐसा हुआ तो रिश्ते बिगड़ जाएंगे, जिससे समझौते की स्थिरता पर सवाल उठने लगे हैं।


भविष्य की चुनौतियाँ

भविष्य अब और मुश्किल बना

अक्टूबर 2023 में हमास के हमले और गाजा युद्ध ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। हजारों फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिससे अरब देशों का गुस्सा भड़क गया है। इजरायल के साथ उनके रिश्ते तनाव में हैं। अमेरिका इस समझौते को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, लेकिन सऊदी अरब का कहना है कि फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा मिलने तक कोई प्रगति नहीं होगी।