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क्या ईसाई जनसंख्या में गिरावट का संकेत है? जानें भारत और दुनिया के धार्मिक समीकरण

हाल ही में एक रिपोर्ट ने ईसाई जनसंख्या में गिरावट के मुद्दे को उजागर किया है, जिसमें बताया गया है कि 2010 से 2020 के बीच ईसाई बहुल देशों की संख्या में कमी आई है। इस रिपोर्ट में यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और उरुग्वे जैसे देशों का उल्लेख किया गया है, जहां ईसाई अब बहुसंख्यक नहीं हैं। इसके साथ ही, हिंदू बहुल देशों की स्थिति और धर्म से विमुख होने वालों की बढ़ती संख्या पर भी चर्चा की गई है। जानें इस बदलाव के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभाव।
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क्या ईसाई जनसंख्या में गिरावट का संकेत है? जानें भारत और दुनिया के धार्मिक समीकरण

ईसाई जनसंख्या में कमी: एक वैश्विक मुद्दा

ईसाई जनसंख्या में गिरावट: दुनिया भर में जनसंख्या और धार्मिक संतुलन पर चर्चा तेज हो गई है। भारत में कई राजनीतिक नेता बदलती जनसंख्या और धर्म के कारण उत्पन्न असंतुलन को लेकर चिंतित हैं। हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और तमिलनाडु के राज्यपाल एन. रवि ने इस विषय को प्रमुखता से उठाया। इसी संदर्भ में, एक नई रिपोर्ट ने वैश्विक स्तर पर ईसाई बहुल देशों की घटती संख्या पर बहस छेड़ दी है। रिपोर्ट के अनुसार, 2010 से 2020 के बीच ईसाई बहुल देशों की संख्या में कमी आई है। 2010 में यह संख्या 124 थी, जो 2020 में घटकर 120 रह गई। इसके पीछे कई सामाजिक और सांस्कृतिक कारण हैं, जैसे धर्म का त्याग, नास्तिकता की ओर झुकाव और जनसंख्या वृद्धि दर में कमी।


गैर-ईसाई बहुल देशों की संख्या में वृद्धि

10 साल में कितने देश हुए 'गैर-ईसाई बहुल'?

रिपोर्ट में बताया गया है कि चार देशों में अब ईसाई बहुसंख्यक नहीं हैं, जिनमें यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और उरुग्वे शामिल हैं। यूके में अब केवल 49% लोग खुद को ईसाई मानते हैं। ऑस्ट्रेलिया में यह आंकड़ा 47% है। फ्रांस में 46% और उरुग्वे में केवल 44% ईसाई जनसंख्या बची है। उरुग्वे में 52% लोग अब किसी भी धर्म को नहीं मानते। यह प्रवृत्ति अन्य देशों में भी देखी जा रही है।


धर्म से विमुख होने वालों की संख्या

धर्म न मानने वालों की तादाद

दुनिया के 5% देशों में बहुसंख्यक आबादी किसी भी धर्म में आस्था नहीं रखती। नीदरलैंड्स में 54% और न्यूजीलैंड में 51% लोग अब किसी भी धर्म से जुड़ना नहीं चाहते। ये लोग खुद को नास्तिक, अज्ञेयवादी या अनीश्वरवादी मानते हैं।


हिंदू बहुल देशों की स्थिति

हिंदू बहुल देश कौन-कौन हैं?

ईसाई बहुल देशों की संख्या में कमी के साथ यह सवाल उठता है कि हिंदू बहुल देश कितने हैं। भारत और नेपाल दुनिया के केवल दो हिंदू बहुल देश हैं। भारत में कुल 95% हिंदू निवास करते हैं, जबकि बाकी 5% अन्य देशों में फैले हुए हैं।


हिंदुओं की वैश्विक स्थिति

वैश्विक जनसंख्या में हिंदुओं की स्थिति

विश्व की कुल जनसंख्या में हिंदुओं का हिस्सा लगभग 15% है। हालांकि, धार्मिक विविधता के आधार पर हिंदुओं की स्थिति सीमित है और यह केवल दो देशों तक ही सीमित है। हाल के रुझान यह संकेत देते हैं कि आने वाले वर्षों में कई देश ईसाई बहुलता की श्रेणी से बाहर निकल सकते हैं। यह बदलाव एक नई सामाजिक और सांस्कृतिक कहानी की शुरुआत कर सकता है। जनसांख्यिकीय बदलाव, युवा पीढ़ी का धर्म से मोहभंग और सामाजिक परिवर्तन इसके प्रमुख कारण होंगे।