क्या उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा एक राजनीतिक साजिश है?

कल्याण बनर्जी का विवादास्पद दावा
तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर एक चौंकाने वाला आरोप लगाया है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों ने धनखड़ को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। बनर्जी के अनुसार, यदि धनखड़ ने रात 9 बजे से पहले इस्तीफा नहीं दिया होता, तो उनके खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जाती। यह बयान संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत के समय आया, जब धनखड़ ने अपने पद से हटने की घोषणा की।
अगले उपराष्ट्रपति की संभावनाएं
कल्याण बनर्जी ने यह भी कहा कि इस रणनीति के पीछे एक राजनीतिक योजना है, जिसमें केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अगला उपराष्ट्रपति बनाने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि पहले एक चुनाव आयुक्त ने चुनावों से पहले इस्तीफा दिया था, और अब धनखड़ का इस्तीफा इस क्रम की अगली कड़ी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार नए समीकरण बनाने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस का सवाल
धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि धनखड़ की तबीयत ठीक है, इसलिए अचानक इस्तीफा देना सामान्य नहीं है। खरगे ने सरकार से स्पष्टता मांगी कि धनखड़ ने क्यों इस्तीफा दिया। उनका मानना है कि इस फैसले के पीछे कोई गहरी साजिश है।
मोदी की प्रतिक्रिया पर विपक्ष की नजर
विपक्ष के उपनेता गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि मोदी की 'भावनात्मक प्रतिक्रिया' ने इस इस्तीफे की राजनीतिक पृष्ठभूमि को उजागर किया है। गोगोई का मानना है कि यदि यह केवल स्वास्थ्य का मामला होता, तो इतनी राजनीतिक हलचल नहीं होती।
धनखड़ का विदाई संदेश
अपने इस्तीफे में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को धन्यवाद दिया और उनके सहयोग को 'सुखद' बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद का भी आभार व्यक्त किया। हालांकि, विपक्ष इसे महज 'कवर-अप' मान रहा है। उनका कहना है कि यदि स्वास्थ्य कारण थे, तो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट किया जाना चाहिए था।
राजनीतिक घटनाक्रम का केंद्र
धनखड़ का इस्तीफा अब केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं रह गया है, बल्कि यह एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में बदल गया है। टीएमसी और कांग्रेस इसे एक प्रेशर टैक्टिक बता रहे हैं, जबकि सरकार की तरफ से अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद और मीडिया में चर्चा का केंद्र बना रहेगा।