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क्या 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक संविधान के अनुरूप है? पूर्व CJI की महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ

संविधान सुधार समिति ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक पर चर्चा के लिए चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को आमंत्रित किया। पूर्व CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने विधेयक की संवैधानिकता का समर्थन किया, लेकिन चुनाव आयोग को दी गई शक्तियों और छोटे दलों के पक्षपात पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि विधेयक चुनाव आयोग को विधानसभा कार्यकाल को बढ़ाने या घटाने की शक्तियाँ देता है, जो संवैधानिक रूप से खतरनाक हो सकता है। जानें इस विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर पूर्व CJI की क्या राय है।
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क्या 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक संविधान के अनुरूप है? पूर्व CJI की महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ

संविधान सुधार समिति की बैठक

संविधान सुधार समिति ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक पर चर्चा के लिए चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को आमंत्रित किया। यह विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करने का प्रस्ताव रखता है। इस बैठक में पूर्व CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने विधेयक की संवैधानिकता का समर्थन किया, लेकिन चुनाव आयोग को दी गई शक्तियों, संसाधनों के असंतुलन और छोटे दलों के प्रति पक्षपात पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए।


क्या यह विधेयक असंवैधानिक है?

कौन कहता है यह असंवैधानिक?

पूर्व CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया कि संविधान में राष्ट्रीय और राज्य चुनावों को अलग करने का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए 'एक साथ चुनाव' संविधान की मूल आत्मा का उल्लंघन नहीं करता। उन्होंने कहा, “चरणों में चुनाव कराना कोई मूलभूत विशेषता नहीं है, बल्कि यह व्यवस्था बनाए रखने का एक तरीका है।” चंद्रचूड़ ने मताधिकार पर भी चिंता व्यक्त की।


चुनाव आयोग की शक्तियाँ

चुनाव आयोग को मिली अत्यधिक शक्तियां

चंद्रचूड़ ने बताया कि विधेयक चुनाव आयोग को विधानसभा कार्यकाल को पंद्रह वर्षों तक बढ़ाने या घटाने की शक्तियाँ देता है, जो संवैधानिक दृष्टि से खतरनाक हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की शक्तियों के प्रयोग के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देशों की आवश्यकता है, अन्यथा यह चुनाव आयोग की भूमिका से परे हो जाएगा।


छोटे दलों की स्थिति

छोटे दलों की पक्षपातपूर्ण हालत

छोटे और क्षेत्रीय दलों की असमर्थता पर चर्चा करते हुए चंद्रचूड़ ने कहा कि संसाधनों और मीडिया अभियान में असंतुलन उनके खिलाफ जाएगा। उन्होंने सुझाव दिया कि राजनीतिक दलों के चुनावी व्यय पर अधिक नियंत्रण होना चाहिए, ताकि धनवान दलों को अनुचित लाभ न मिले।


मध्यम अवधि चुनाव का प्रभाव

मध्यम अवधि चुनाव में परियोजनाओं पर असर

विधेयक में कहा गया है कि मध्यावधि चुनाव की स्थिति में नई सरकार केवल शेष चार-पांच साल के कार्यकाल के लिए जिम्मेदार होगी। चंद्रचूड़ ने चेतावनी दी कि इससे परियोजनाओं और नीतिगत निर्णयों में देरी हो सकती है, खासकर आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण।


चरणबद्ध चुनाव की आवश्यकता

चरणबद्ध चुनाव की जरूरत

पूर्व CJI यू.यू. ललित ने सुझाव दिया कि पूर्ण समकालिक चुनाव के बजाय चरणबद्ध चुनाव करना बेहतर होगा। इससे कार्यकाल की अनावश्यक समाप्ति और संसाधनों का बेहतर प्रबंधन संभव हो सकेगा।


संवैधानिकता पर कोई विवाद नहीं

संवैधानिकता पर नहीं विवाद

समिति के समक्ष उपस्थित चारों पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने विधेयक की मूल अवधारणा पर कोई संवैधानिक आपत्ति नहीं जताई, लेकिन इसके कार्यान्वयन के लिए सावधानी और बेहतर नियमों की आवश्यकता पर जोर दिया।