क्या ग्रीस भारत से मिसाइल खरीदने की योजना बना रहा है? जानें इसके पीछे की रणनीति

ग्रीस की मिसाइल खरीदने की इच्छा
हाल ही में ग्रीस ने भारत से एक शक्तिशाली मिसाइल प्रणाली की मांग की है, जो कि एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। यह वही ग्रीस है, जो तुर्की का पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी माना जाता है। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई है जब तुर्की ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान का समर्थन करने की कोशिश की थी। ग्रीस द्वारा भारत से मिसाइल खरीदने की योजना तुर्की के लिए एक बड़ा रणनीतिक झटका साबित हो सकती है।
भारत की लंबी दूरी की मिसाइल की मांग
ग्रीस को चाहिए भारत की लंबी दूरी की मिसाइल
रिपोर्टों के अनुसार, ग्रीस भारत से लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (LR-LACM) खरीदने की इच्छा रखता है। यह मिसाइल भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की गई है और इसमें अत्याधुनिक तकनीक शामिल है। इसे दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकानों जैसे एयरबेस, रडार स्टेशनों और कमांड सेंटर को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
LR-LACM की विशेषताएँ
LR-LACM की ताकत और रेंज
यह क्रूज मिसाइल सबसोनिक श्रेणी की है, जिसकी गति लगभग 864 से 1111 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसकी रेंज है, जो जमीन से लॉन्च करने पर 1500 किलोमीटर तक जा सकती है, जबकि समुद्री जहाज से लॉन्च करने पर इसकी मारक क्षमता 1000 किलोमीटर तक सीमित होती है। यह रेंज तुर्की के प्रमुख क्षेत्रों को कवर करने के लिए पर्याप्त है, जिससे तुर्की की सुरक्षा चिंताएँ बढ़ सकती हैं।
स्टील्थ तकनीक से लैस
रडार को चकमा देने में माहिर
LR-LACM मिसाइल बेहद कम ऊँचाई पर उड़ान भरती है, जिससे यह दुश्मन के रडार से बचने में सक्षम होती है। यह अमेरिका की 'टॉमहॉक' और रूस की 'कैलिबर' मिसाइलों की तरह स्टील्थ तकनीक से लैस है, जिससे इसे ट्रैक करना कठिन हो जाता है।
लॉन्चिंग की बहुउद्देश्यीय क्षमताएँ
बहुउद्देश्यीय लॉन्च सिस्टम
यह मिसाइल न केवल जमीन से, बल्कि समुद्र और हवा से भी लॉन्च की जा सकती है। इसे मोबाइल लॉन्चर या यूनिवर्सल वर्टिकल लॉन्च मॉड्यूल से दागा जा सकता है। भारत की नौसेना के लगभग 30 युद्धपोत पहले से ही इसे लॉन्च करने में सक्षम हैं। इसमें प्रयुक्त 'मनिक' टर्बोफैन इंजन स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है, जो इसे लंबी दूरी तक ले जाने में मदद करता है।
भारत की रणनीतिक स्थिति
रणनीतिक बढ़त की दिशा में भारत
यदि भारत ग्रीस को यह मिसाइल प्रदान करता है, तो यह दोनों देशों के रक्षा संबंधों को और मजबूत करेगा। इसके अलावा, यह सौदा तुर्की के लिए एक स्पष्ट संकेत होगा कि भारत अब वैश्विक सुरक्षा समीकरणों में एक सक्रिय भूमिका निभा रहा है।