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क्या जम्मू-कश्मीर को मिलेगा राज्य का दर्जा? मोदी-शाह की बैठक से बढ़ी चर्चाएं

जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा लौटाने की चर्चाएं हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की बैठकों के बाद तेज हो गई हैं। अनुच्छेद 370 के हटने की वर्षगांठ नजदीक है, जिससे राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सरकार की ओर से राज्य का दर्जा बहाल करने का संकेत हो सकता है। हालांकि, अभी तक कोई ठोस समयसीमा तय नहीं की गई है। जानें इस मुद्दे पर और क्या चल रहा है।
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क्या जम्मू-कश्मीर को मिलेगा राज्य का दर्जा? मोदी-शाह की बैठक से बढ़ी चर्चाएं

जम्मू-कश्मीर के राज्य दर्जे की संभावनाएं

जम्मू-कश्मीर को पुनः राज्य का दर्जा देने की संभावनाएं एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गई हैं। यह चर्चा हाल ही में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बीच हुई बैठकों के बाद तेज हुई है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब अनुच्छेद 370 के हटने की वर्षगांठ (5 अगस्त) नजदीक है। राजनीतिक और सोशल मीडिया में यह बात उठ रही है कि केंद्र सरकार राज्य के पुनर्गठन के लिए कुछ नए कदम उठा सकती है।


बैठकों का औपचारिक ब्योरा नहीं

3 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की, लेकिन इस बैठक का कोई औपचारिक ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया गया। आमतौर पर ऐसी उच्च स्तरीय बैठकों के बाद प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा प्रेस रिलीज़ जारी की जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। उसी दिन अमित शाह ने भी राष्ट्रपति से अलग बैठक की, जिसने राजनीतिक हलचल को और बढ़ा दिया।


नई चर्चाओं का जन्म

इन बैठकों ने सोशल मीडिया पर नई चर्चाओं को जन्म दिया है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह सरकार की ओर से राज्य का दर्जा बहाल करने का संकेत हो सकता है। सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी कंवल जीत सिंह ढिल्लों ने ट्वीट कर कहा कि कश्मीर में शांति बहुत बड़ी कीमत पर आई है, इसलिए कोई भी निर्णय जल्दबाज़ी में नहीं लिया जाना चाहिए।


अनुच्छेद 370 का प्रभाव

5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के हटने के बाद, जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था। इसके साथ ही स्थानीय विधानसभा भी भंग कर दी गई थी और प्रशासकीय नियंत्रण केंद्र के अधीन आ गया था। हालांकि, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री कई बार राज्य का दर्जा लौटाने का आश्वासन दे चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई समयसीमा तय नहीं की गई है। दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर सरकार को जल्द निर्णय लेने का निर्देश दिया था, जो अब तक लंबित है.