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क्या जवाद अहमद सिद्दीकी की गिरफ्तारी से मनी लॉन्ड्रिंग का बड़ा राज़ खुलने वाला है?

प्रवर्तन निदेशालय ने अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई के दौरान 48 लाख रुपये और महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए हैं। ED जांच कर रहा है कि क्या मनी लॉन्ड्रिंग का पैसा आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा, अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर NAAC मान्यता का झूठा दावा करने का आरोप भी है। इस मामले में और भी खुलासे होने की संभावना है।
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क्या जवाद अहमद सिद्दीकी की गिरफ्तारी से मनी लॉन्ड्रिंग का बड़ा राज़ खुलने वाला है?

प्रवर्तन निदेशालय की बड़ी कार्रवाई


नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया है।


मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप

जवाद अहमद सिद्दीकी की गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की गई है। ED ने अल-फलाह ग्रुप से जुड़े विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की, जहां से महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल सबूत प्राप्त हुए। सिद्दीकी के निवास पर भी सुबह छापे मारे गए, जहां उनसे पूछताछ की गई। पूछताछ के दौरान मिले तथ्यों के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया।


48 लाख रुपये की बरामदगी

ED की जांच का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि क्या मनी लॉन्ड्रिंग से प्राप्त धन का उपयोग किसी आतंकवादी गतिविधि में किया गया था। एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या यह धन उन व्यक्तियों तक पहुंचा, जिन्होंने लाल किले पर धमाका किया था। रिपोर्टों के अनुसार, जांच में यह सामने आया है कि करोड़ों रुपये की अवैध कमाई ट्रस्ट के माध्यम से परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियों में स्थानांतरित की गई। ED ने छापेमारी के दौरान 48 लाख रुपये, डिजिटल सबूत और वित्तीय रिकॉर्ड जब्त किए हैं।


NAAC मान्यता का झूठा दावा

ED ने इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की दो FIR के आधार पर शुरू की थी। FIR में आरोप लगाया गया था कि फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने छात्रों और अभिभावकों को धोखा देने के लिए NAAC से मान्यता प्राप्त होने का झूठा दावा किया।


अल-फलाह ट्रस्ट की स्थापना

अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 1995 में हुई थी, और जवाद अहमद सिद्दीकी को इसके पहले ट्रस्टियों में से एक नामित किया गया था। 1990 के दशक से इस समूह की अचानक आर्थिक वृद्धि भी संदिग्ध है, क्योंकि इतनी बड़ी वृद्धि के लिए आवश्यक वित्तीय स्रोत स्पष्ट नहीं हैं। ED इस मामले की गहराई से जांच कर रहा है, और आने वाले दिनों में और भी खुलासे होने की संभावना है।