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क्या ट्रम्प और मेदवेदेव के बीच परमाणु तनाव बढ़ रहा है? जानिए पूरी कहानी

हाल ही में, ट्रम्प और मेदवेदेव के बीच परमाणु तनाव बढ़ने की खबरें आई हैं। मेदवेदेव ने ट्रम्प को मजेदार अंदाज में ताना मारा, जिसके बाद ट्रम्प ने अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियों को तैनात करने का आदेश दिया। इस लेख में क्यूबा मिसाइल संकट के संदर्भ में दोनों नेताओं के बीच की स्थिति का विश्लेषण किया गया है। जानें कि कैसे आज की स्थिति कोल्ड वॉर से कहीं अधिक खतरनाक बन गई है।
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क्या ट्रम्प और मेदवेदेव के बीच परमाणु तनाव बढ़ रहा है? जानिए पूरी कहानी

मेदवेदेव का ट्रम्प पर तंज

हाल ही में, रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को एक टेलीग्राम पोस्ट के माध्यम से मजेदार तरीके से निशाना बनाया। उन्होंने कोल्ड वॉर की फिल्मों, परमाणु सिद्धांतों और पुराने 'डेड हैंड' सिस्टम का उल्लेख किया, जो सोवियत युग में विकसित किया गया था ताकि यदि रूसी नेतृत्व समाप्त हो जाए, तो भी स्वचालित रूप से परमाणु जवाबी कार्रवाई की जा सके।


मेदवेदेव की तीखी टिप्पणी

मेदवेदेव ने ट्रम्प की 'डेड अर्थनॉमीज़' टिप्पणी को चुनौती देते हुए कहा कि ट्रम्प को अपनी पसंदीदा डरावनी फिल्मों की याद आ सकती है, जैसे 'Walking Dead'। उन्होंने यह भी कहा कि 'Dead Hand' सिस्टम भले ही शाब्दिक रूप से मौजूद न हो, लेकिन इसके संभावित खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।


ट्रम्प की प्रतिक्रिया

इसके तुरंत बाद, ट्रम्प ने घोषणा की कि उन्होंने दो अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियों को 'उपयुक्त क्षेत्रों' में तैनात करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि शब्दों का बहुत महत्व होता है और कभी-कभी ये अनजाने में संकट पैदा कर सकते हैं। यह कदम केवल सावधानी के तौर पर उठाया गया है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।


रूस का आत्मविश्वास

रूसी सांसद विक्टर वोडोलात्सकी ने कहा कि रूस के पास इतनी परमाणु पनडुब्बियाँ हैं कि वे आसानी से अमेरिकी पनडुब्बियों का सामना कर सकते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि ट्रम्प द्वारा भेजी गई पनडुब्बियाँ पहले से ही रूस के नियंत्रण में हैं, इसलिए रूस को किसी प्रतिक्रिया की आवश्यकता नहीं है।


क्यूबा मिसाइल संकट का संदर्भ

1962 में क्यूबा मिसाइल संकट को सबसे खतरनाक परमाणु टकराव माना जाता है। जब सोवियत संघ ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कीं, तो ये अमेरिका की धरती से केवल 145 किलोमीटर दूर थीं। उस समय पूरी दुनिया ने इस घटना को ध्यान से देखा।


संकट की उत्पत्ति

1961 में, फिदेल कास्त्रो के नेतृत्व में क्यूबा अमेरिका के खिलाफ हो गया और सोवियत संघ के साथ जुड़ गया। अमेरिकी CIA का Bay of Pigs ऑपरेशन असफल रहा, जिससे अमेरिका को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। इस बीच, सोवियत नेता ख्रुश्चेव ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात करने की योजना बनाई।


अमेरिका की खोज और प्रतिक्रिया

14 अक्टूबर 1962 को, अमेरिकी U-2 विमान ने क्यूबा में मिसाइल साइटों की तस्वीरें लीं। अगले दिन राष्ट्रपति केनेडी को इस बारे में जानकारी दी गई। 22 अक्टूबर को, उन्होंने राष्ट्रीय टेलीविजन पर घोषणा की कि सोवियत मिसाइलें अमेरिका की सीमाओं के बहुत करीब पहुंच गई हैं।


सोवियत संघ की चुनौती

सोवियत नेतृत्व ने अमेरिका की कार्रवाई को अवैध बताया, लेकिन कुछ जहाज बिना मिसाइल लाए लौट गए। यह स्पष्ट हुआ कि विदेश नीति अब सीधे टकराव की बजाय सांकेतिक तनाव और निरीक्षण पर केंद्रित हो रही है।


ब्लैक सैटरडे: सबसे खतरनाक दिन

27 अक्टूबर 1962 को, एक U-2 विमान क्यूबा पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें मेजर रुडोल्फ एंडरसन की मृत्यु हो गई। ख्रुश्चेव ने उसी दिन दो पत्र भेजे—एक सौहार्दपूर्ण प्रस्ताव और दूसरा एक नई मांग। केनेडी ने पहले पत्र को स्वीकार कर लिया।


संकट का समाधान

28 अक्टूबर को, ख्रुश्चेव ने स्वीकार किया कि सोवियत मिसाइलें क्यूबा से हटाई जाएंगी। अमेरिका ने क्यूबा पर हमला नहीं करने का आश्वासन दिया।


उसके बाद का प्रभाव

इस संकट के बाद, व्हाइट हाउस और क्रेमलिन के बीच सीधा हॉटलाइन संपर्क स्थापित किया गया। 1963 में Partial Nuclear Test Ban Treaty पर हस्ताक्षर हुए, जिससे परमाणु परीक्षणों पर रोक लगी।


आज की स्थिति

आज की स्थिति में, जहां सोशल मीडिया पर परमाणु भाषा सार्वजनिक हो गई है, यह कोल्ड वॉर की तुलना में कहीं अधिक खतरनाक बन चुकी है। ट्रम्प और मेदवेदेव के बीच सोशल मीडिया पर हुई बयानबाज़ी 1962 की गुप्त रणनीति का तेज विरोधाभास है।