क्या डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित की? जानें भारत का जवाब

डोनाल्ड ट्रंप का विवादास्पद दावा
Donald Trump India Pakistan: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यह दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। व्हाइट हाउस में दिए गए अपने बयान में ट्रंप ने कहा कि टैरिफ न केवल अमेरिका के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी रहे हैं, बल्कि इससे अमेरिका को अपने प्रतिकूलों पर अधिक शक्ति भी मिली है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने अब तक पांच बड़े युद्धों को सुलझाया है, जिनमें भारत-पाकिस्तान और आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच का पुराना विवाद भी शामिल है।
आर्मेनिया-अजरबैजान समझौते का संदर्भ
आर्मेनिया-अजरबैजान समझौते की आड़ में भारत-पाक का जिक्र
ट्रंप ने हाल ही में व्हाइट हाउस में आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच हुए शांति समझौते का उल्लेख करते हुए कहा कि यह 37 साल पुराना विवाद था, जिसे अमेरिका ने सफलतापूर्वक हल किया। इसी संदर्भ में उन्होंने भारत और पाकिस्तान का भी उल्लेख किया और दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों के बीच शांति स्थापित की। उन्होंने कहा, "रूस ने भी इसे सुलझाने की कोशिश की, लेकिन हम सफल रहे।"
भारत का स्पष्ट खंडन
भारत ने फिर खारिज किया ट्रंप का दावा
हालांकि, भारत सरकार ने ट्रंप के इन दावों को पहले की तरह ही खारिज कर दिया है। भारत का स्पष्ट कहना है कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय मुद्दों को सुलझाने में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है, और यह नीति वर्षों से स्पष्ट रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में भी कहा था कि किसी विदेशी नेता ने उनसे पाकिस्तान के साथ बातचीत या संघर्ष रोकने की बात नहीं कही है।
ट्रंप के दावों का राजनीतिक संदर्भ
पहले भी कर चुके हैं ऐसे कई दावे
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने ऐसा दावा किया है। उन्होंने 10 मई को पहली बार ट्वीट कर भारत-पाक संघर्ष विराम का दावा किया था। इसके बाद वे कम से कम 32 बार इस बात को विभिन्न मंचों से दोहरा चुके हैं। भारत ने हर बार उनकी इस बात को नकारते हुए कहा कि शांति प्रयासों में सिर्फ भारत और पाकिस्तान शामिल हैं और बाहरी देश की कोई भूमिका नहीं हो सकती।
डोनाल्ड ट्रंप के ये बयान राजनीतिक मंच पर अपनी उपलब्धियों को गिनाने की एक कोशिश के तौर पर देखे जा रहे हैं, लेकिन भारत की ओर से इस पर कोई समर्थन नहीं मिला है। भारत का रुख स्पष्ट है – द्विपक्षीय मसलों में किसी तीसरे देश की भूमिका स्वीकार नहीं की जाएगी।