क्या डोनाल्ड ट्रंप भारत के साथ व्यापारिक सौदों के लिए तैयार हैं?

ट्रंप की वैश्विक महत्वाकांक्षा
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली नेता के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं। उनका सपना नोबेल शांति पुरस्कार हासिल करना है, जो उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का हिस्सा है। लेकिन उनकी कार्यशैली और बयानों ने उन्हें 'वर्ल्ड लीडर' से ज्यादा 'वर्ल्ड डीलर' बना दिया है। उनके भाषणों और प्रेस कॉन्फ्रेंस से यह स्पष्ट होता है कि उन्हें नेतृत्व से ज्यादा सौदों में रुचि है।
भारत पर ट्रंप की नजर
हाल ही में, ट्रंप ने संकेत दिया कि भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापारिक सौदा जल्द ही हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि वे दुनिया के सभी देशों के साथ बेहतरीन सौदों पर काम कर रहे हैं, और भारत अगला देश है। हालांकि, भारत ने इन दावों का लगातार खंडन किया है।
कूटनीति बनाम डील नीति
डोनाल्ड ट्रंप ने कूटनीति को सौदों का माध्यम बना लिया है। चाहे वह दोस्ती हो या दुश्मनी, ट्रंप हर स्थिति में कोई न कोई सौदा खोजने की कोशिश करते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान, उन्होंने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस बुलाकर खनिज समझौते की पेशकश की थी। इसी तरह, पाकिस्तान के साथ भी उन्होंने लंच के दौरान खनिज और क्रिप्टो पर डील की बात की। ईरान पर बमबारी के बाद, ट्रंप ने 30 बिलियन डॉलर की मदद देने की पेशकश की है।
भारत ने ट्रंप के दावों को खारिज किया
8 मार्च को ट्रंप ने कहा था कि भारत टैरिफ में कटौती के लिए तैयार है, लेकिन भारत ने इसे गलत बताया। 17 मई को ट्रंप ने फिर से कहा कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर टैक्स नहीं लगाएगा, जिसे भारत ने फिर से नकार दिया। दरअसल, ट्रंप भारत पर दबाव डालना चाहते हैं ताकि वह अमेरिका के लिए फायदेमंद सौदों को मंजूरी दे सके।
भारत का स्पष्ट संदेश
11 जून 2025 को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि किसी भी डील में दोनों देशों के हितों का संतुलन होना आवश्यक है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मई में स्पष्ट किया कि समझौता तभी होगा जब वह दोनों देशों के लिए लाभकारी हो। जल्दबाज़ी में कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा।