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क्या प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा से बढ़ेगा भारत-चीन संवाद?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संभावित यात्रा चीन के तियानजिन में होने वाले SCO Summit 2025 में भाग लेने के लिए चर्चा का विषय बन गई है। यह यात्रा भारत-चीन संबंधों में सुधार की कोशिशों के बीच हो रही है। मोदी की यह यात्रा 2020 के गलवान संघर्ष के बाद पहली होगी। इस लेख में SCO के महत्व, मोदी की जापान यात्रा, और भारत की चिंताओं पर चर्चा की गई है। क्या यह यात्रा दोनों देशों के बीच संवाद को बहाल कर सकेगी? जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
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क्या प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा से बढ़ेगा भारत-चीन संवाद?

SCO Summit 2025: मोदी की संभावित यात्रा

SCO Summit 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल होने की योजना बना रहे हैं। यह सम्मेलन SCO की 25वीं राष्ट्राध्यक्ष परिषद की बैठक होगी। यदि यह यात्रा होती है, तो यह प्रधानमंत्री मोदी की 2020 में हुए गलवान संघर्ष के बाद पहली बार चीन की यात्रा होगी, और कुल मिलाकर यह उनकी बीजिंग की छठी यात्रा होगी।


भारत-चीन संबंधों में सुधार की कोशिशें

यह यात्रा उस समय प्रस्तावित की गई है जब भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव को कम करने और आपसी विश्वास को बहाल करने के प्रयास जारी हैं। मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आखिरी मुलाकात अक्टूबर 2024 में रूस में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान हुई थी। इस बार की बैठक से दोनों देशों के बीच संवाद को फिर से स्थापित करने की संभावना जताई जा रही है।


SCO का महत्व

क्या है SCO? शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक महत्वपूर्ण बहुपक्षीय मंच है जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, बेलारूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, कज़ाकिस्तान और किर्गिस्तान शामिल हैं। इसकी स्थापना 1996 में शंघाई फाइव समूह के रूप में हुई थी, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देना है।


जापान यात्रा से पहले की तैयारी

जापान के बाद चीन की यात्रा: प्रधानमंत्री मोदी की संभावित चीन यात्रा से पहले, वे 30 अगस्त को जापान की राजधानी टोक्यो में भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। वहां वे जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। टोक्यो यात्रा के तुरंत बाद, वे तियानजिन के लिए रवाना हो सकते हैं।


वैश्विक तनावों के बीच यात्रा का महत्व

वैश्विक तनावों के बीच एक अहम पहल: मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक माहौल में अस्थिरता बढ़ रही है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर रूस से तेल खरीदने का आरोप लगाया है, जिससे वैश्विक मंचों पर तनाव और बढ़ गया है। यह स्थिति SCO और BRICS जैसे संगठनों की एकता को प्रभावित कर सकती है।


भारत की चिंताएं

एससीओ पर भारत की चिंता: भारत के लिए SCO मंच पर अपनी स्थिति को स्पष्ट रखना चुनौतीपूर्ण रहा है। जून 2025 में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क़िंगदाओ में SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लिया था, लेकिन उन्होंने आतंकवाद से संबंधित प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। इसका कारण था कि प्रस्ताव में भारत के कड़े रुख को कमजोर करना और पहलगाम हमले जैसे गंभीर घटनाक्रमों की अनदेखी करना।


विवादास्पद दस्तावेज

विवादास्पद दस्तावेज: भारत के विरोध के कारण संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया। सूत्रों के अनुसार, चीन और पाकिस्तान द्वारा तैयार किए गए मसौदे में बलूचिस्तान का उल्लेख था, जिसे भारत ने नई दिल्ली के खिलाफ एक छिपा हुआ हमला माना। इस प्रकरण ने यह स्पष्ट किया कि भारत क्षेत्रीय मंचों पर अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा।