क्या बिहार में मतदाता सूची का पुनरीक्षण लोकतंत्र को खतरे में डाल रहा है?

ADR की याचिका सुप्रीम कोर्ट में
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। ADR का कहना है कि ECI का यह निर्णय मनमाना है, जिससे लाखों लोगों का नाम मतदाता सूची से हट सकता है और उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में चिंता का विषय
रिपोर्टों के अनुसार, ADR का मानना है कि आयोग की प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है। संस्था का कहना है कि बिना स्पष्ट आधार के इस तरह की व्यापक जांच से कई वैध मतदाताओं का नाम सूची से हट सकता है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है।
BLO ने 1.5 करोड़ घरों का दौरा किया
ECI के अनुसार, बिहार में बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) ने लगभग 1.5 करोड़ घरों का दौरा किया है। अब तक राज्य के 87% मतदाताओं को एन्यूमरेशन फॉर्म दिए जा चुके हैं। BLO विशेष पुनरीक्षण के तहत हर घर पर तीन बार जाकर जानकारी एकत्र कर रहे हैं, हालांकि कुछ घरों में ताले लगे थे या लोग अनुपस्थित थे।
राजनीतिक दलों का सहयोग
इस प्रक्रिया में विभिन्न राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट (BLA) भी मदद कर रहे हैं। अब तक बीजेपी के 52,689, आरजेडी के 47,504, जेडीयू के 34,669 और कांग्रेस के 16,500 BLA कार्यरत हैं। इसके अलावा, अन्य दलों जैसे लोजपा, सीपीएम, एनपीपी और आम आदमी पार्टी के BLA भी इस प्रक्रिया में शामिल हैं। एक BLA प्रतिदिन 50 तक सत्यापित फॉर्म भर सकता है।
मतदाता सूची का ड्राफ्ट और अंतिम सूची
वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट 2 अगस्त 2025 को जारी किया जाएगा, जिसके बाद नागरिक या राजनीतिक दल आपत्ति या दावा दाखिल कर सकेंगे। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित की जाएगी। इसके बाद भी जिलाधिकारी (DM) और मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के समक्ष अपील की जा सकती है।
मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया में सुधार
ECI ने मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया को और अधिक सरल बना दिया है। अब इच्छुक नागरिक ECI पोर्टल या ECINET ऐप से फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं। ये फॉर्म पहले से आंशिक रूप से भरे हुए मिलेंगे, जिन्हें उपयोगकर्ता स्वयं अपलोड कर सकते हैं।
यह पूरी प्रक्रिया 2025 के चुनावों से पहले मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने की एक बड़ी कोशिश है, लेकिन ADR की याचिका ने इस प्रक्रिया की वैधता और निष्पक्षता को बहस के केंद्र में ला दिया है।